जबलपुर। प्रदेशभर के चिकित्सा कर्मचारी अपने मांगों और समस्याओं के समाधान के लिए अब एकजुट होकर रणनीति तैयार करने जा रहे हैं। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संघ की पहल पर जबलपुर में होने जा रहा यह अधिवेशन कर्मचारियों की एक बड़ी ताकत के रूप में उभर सकता है। पहली बार आयोजित किए जा रहे इस अधिवेशन में प्रदेश के लगभग 2 हजार चिकित्सा कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना है।
प्रशासनिक अफसरों के साथ होगी सीधी चर्चा
अधिवेशन की तैयारियाँ शुरू होते ही प्रशासनिक अफसरों की नजर भी कार्यक्रम पर टिक गई है। उम्मीद की जा रही है कि अधिवेशन के माध्यम से कर्मचारियों की समस्याएँ सीधे प्रशासन तक पहुँचेंगी। लंबे समय से लंबित प्रमोशन, वेतन विसंगति, सुरक्षा व्यवस्था, कार्य परिस्थितियाँ, ड्यूटी घंटों में सुधार तथा संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण जैसी प्रमुख मांगों को इस मंच पर मजबूती से उठाया जाएगा।
कर्मचारी नेताओं का मानना है कि यह अधिवेशन केवल समस्याएँ रखने का मंच नहीं होगा, बल्कि समाधान के रास्ते तलाशने की दिशा में प्रमुख कदम साबित होगा। संघ का उद्देश्य है कि सरकार और विभाग के साथ संवाद स्थापित कर ऐसी रूपरेखा तैयार की जाए जिससे कर्मचारी और मरीज, दोनों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ मिल सकें।
अधिवेशन के उद्देश्य क्या हैं
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि जबलपुर में पहली बार इतना बड़ा अधिवेशन होने जा रहा है। इससे पूरे प्रदेश के चिकित्सा कर्मचारियों को एकजुट होकर अपनी समस्याएँ रखने का मौका मिलेगा। हम प्रशासन और सरकार तक यह संदेश पहुँचाना चाहते हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती तभी संभव है जब कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण किया जाए। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की एकता से आंदोलन की नई रणनीति तैयार होगी, जो भविष्य में प्रदेशस्तर पर प्रभावी दबाव बना सकेगी। अधिवेशन में नीति निर्धारकों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और कर्मचारियों की संयुक्त बैठकें होंगी। अधिवेशन के बाद तैयार की गई रणनीति को प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में लागू करने का रास्ता तय किया जाएगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और कर्मचारियों की संतुष्टि दोनों सुनिश्चित हो सकें।
