1000 सहायक प्राध्यापकों के अधिकारों के लिए लड़ा संघ ,उच्च शिक्षा मंत्री को गिनाईं विसंगतियां


प्राध्यापक संघ ने उच्च शिक्षा मंत्री को सौंपा ज्ञापन, लंबित माँगो पर त्वरित निर्णय की अपील

जबलपुर। प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ, जबलपुर संभाग द्वारा प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को प्राध्यापकों की विभिन्न ज्वलंत समस्याओं एवं लंबित माँगों के निराकरण हेतु एक ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान संघ ने वर्ष 2004-2005 में विशेष भर्ती अभियान के तहत नियुक्त शिक्षकों और क्रीड़ा अधिकारियों के हितों की रक्षा करने की पुरजोर अपील की।

प्रमुख माँगें और विसंगतियाँ

संभागीय अध्यक्ष प्रो. अरुण शुक्ल ने बताया कि ज्ञापन में मुख्य रूप से पाँच बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया गया है। संघ की माँग है कि वर्ष 1986, 1987 और 1989 में नियुक्त सहायक प्राध्यापकों की पेंशन गणना उनकी प्रथम नियुक्ति तिथि से की जाए। साथ ही, आपातकालीन सेवाओं को भी पेंशन पात्रता में जोड़ा जाए। एक अन्य महत्वपूर्ण विषय 10,000 एजीपी के अनुमोदन का है, जो वित्त विभाग और कोष लेखा द्वारा लंबे समय से अटका हुआ है, जिसके कारण प्राध्यापकों को एरियर्स का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

समानता और विशेष भर्ती के अधिकार

संघ ने तर्क दिया कि महाविद्यालयों में कार्यरत क्रीड़ा अधिकारी भी शैक्षणिक कार्यों में संलग्न रहते हैं, अतः उनकी सेवानिवृत्ति आयु भी शिक्षकों के समान 65 वर्ष की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2004-05 के विशेष भर्ती अभियान के माध्यम से नियुक्त अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लगभग 1000 सहायक प्राध्यापकों की परिवीक्षा अवधि समाप्त कर उन्हें पात्रतानुसार वेतनमान देने की माँग की गई।उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि सरकार इन माँगों के प्रति गंभीर है और जल्द ही इनका सकारात्मक निराकरण किया जाएगा। ज्ञापन सौंपने के दौरान जिला अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ. राजीव मिश्रा और डॉ. राजेश शामकुवॅंर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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