उच्च न्यायालय बरती सख्ती, वित्त सचिव को किया तलब
जबलपुर। जिला न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के पेंशन मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट ने वित्त विभाग के सचिव को तलब किया है। यह मामला साल 2005 के बाद सेवानिवृत्त हुए जिला न्यायाधीशों को मिलने वाले भत्ते से जुड़ा है। पूर्व न्यायाधीश कल्याण एसोसिएशन ने याचिका दायर कर कहा कि जिला व सत्र न्यायालय के अनुमोदन के बिना भत्ता राशि जारी नहीं की जा रही है, जिससे उन्हें परेशानी हो रही है।
-क्या आदेश दिया गया था
एसोसिएशन की याचिका में बताया गया कि साल 2005 के बाद नियुक्ति में आए जिला न्यायालय से सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पेंशन का लाभ नहीं मिलता है। जबकि इससे पहले सेवानिवृत्त हुए न्यायाधीशों को पेंशन के साथ-साथ अलग-अलग भत्ते भी मिलते थे। राज्य सरकार ने साल 2005 के बाद सेवा में आए न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद 15 हजार रुपये भत्ता देने का आदेश जारी किया था। लेकिन, इस राशि को जारी करने के लिए हर साल जिला एवं सत्र न्यायाधीश का अनुमोदन लेना अनिवार्य कर दिया गया था।
-80 की उम्र में हो रही मुश्किल
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 2005 से पहले सेवानिवृत्त हुए जिला न्यायाधीशों की उम्र 80 साल से अधिक है। नए नियम के तहत, उन्हें भत्ता राशि लेने के लिए हर साल उस जिले में जाना होगा, जहां उनकी पहले पदस्थापना थी। यह उनके लिए बहुत मुश्किल है, खासकर वृद्धावस्था में। पहले उन्हें सिर्फ बैंक में जीवित होने का प्रमाण-पत्र देना होता था। सरकार के इस नए नियम से उन्हें परेशानी हो रही है और भत्ता राशि जारी नहीं की जा रही है।
-सरकारी वकील ने मांगा समय
हाईकोर्ट की युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सुनवाई के दौरान यह भी बताया गया कि राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि वे पद छोड़ने के बाद अपने निवास स्थान पर जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर सकें। शासकीय अधिवक्ता ने सरकार से इस संबंध में दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा। मामले की विशिष्ट परिस्थितियों को देखते हुए, युगलपीठ ने वित्त सचिव को तलब करने का आदेश दिया है।
