शनिवार को दिन भर पंचक भी हैं सक्रिय, रविवार की सुबह से शुरु होंगे मंगल आयोजन
जबलपुर। कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी को ग्यारस के रूप में आज मनाया जा रहा है,लेकिन हर बार की तरह इस तिथि पर मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश नहीं हो सकेगा,क्योंकि शनिवार की शाम से रविवार की सुबह तक भद्रा काल सक्रिय है और पंचक भी लगे रहेंगे इसलिए मांगलिक कार्य रविवार से ही प्रारंभ हो सकेंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित विचित्र महाराज ने बताया कि सनातन धर्मावलंबियों की मान्यता के अनुसार, ग्यारस के दिन हिन्दु परिवार भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इसी के साथ ही चातुर्मास समाप्त होगा और सहालग अर्थात विवाह के मुहूर्त शुरु हो जाएंगे। आज रात 8ः27 बजे से भद्रा काल प्रारंभ हो रहा है। इसलिए तुलसी-सालिगराम विवाह रविवार को सुबह 6ः34 के बाद किया जाएगा।
-नवंबर में शादी के 15 मुहूर्त
इस बार नवंबर में शादियों के 15 मुहूर्त हैं। मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश 2 नवंबर से होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित विचित्र महाराज ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं। यही कारण हैं कि इन महीनों में विवाह, गृहप्रवेश या अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। देवउठनी एकादशी पर गन्ना का मंडप बनाकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
-देवउठनी ग्यारस का पूजन सामग्री
गन्ना, सिंघाड़ा, शकरकंद आदि 5 मौसमी फल,तुलसी का पौधा और पत्ता,दीपक ;घी या तेल काद्धचावल,अक्षत,रोली और हल्दी,पंचामृत,दही,शहद, घी और गंगाजल,पान, सुपारी, इलायची,गुड़ या मिश्री,कलश, जल, फूल, धूपबत्ती,शंख, घंटी , एक छोटी लकड़ी की चौकी और पीला वस्त्र।
