विवेचना के राष्ट्रीय नाटय समारोह का समापन, मेडबैथ की कामेडी सबको गुदगुदाया और सोचने पर भी किया विवश
जबलपुर । विवेचना के 31 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह के अंतिम दिन शेक्सपियर के किरदार मेकबैथ ने मेडबैथ बनकर पूरे तरंग हॉल में खूब धमाल मचाया। आज कारवां मुम्बई और रेडनोज मुम्बई के कलाकार रूपेश टिल्लू ने अपनी प्रस्तुति से जबलपुर के दर्शकों को एक अलग अनुभव दिया। रूपेश ने इस नाटक को फिजिकल कॉमेडी नाम दिया है, जिसे उन्होंने सार्थक कर दिया। यह एक ऐसा रंग प्रयोग था जिसमें दर्शक भी कलाकार बन जाता है रूपेश ने अमेरिका,इजरायल-फिलिस्तीन, स्वीडन और यूरोप के अनेक देशों में इस नाटक के मंचन किए हैं। उनका यह नाटक शेक्सपियर के किरदार मेकबैथ से प्रेरित है।
-पहली बार हुआ हिंदी मंचन
रूपेश टिल्लू ने पहली बार इस नाटक को हिन्दी में प्रस्तुत किया। इस नाटक के लगातार शो मुम्बई में हो रहे हैं। यह एक अलग तरह का नाटक है। जिसमें अभिनेता और दर्शक के बीच की दीवार खत्म कर दी जाती है। हॉल की लाइट जलती रहती है। और सारे दर्शक अभिनेता में बदल जाते हैं। पूरा हॉल स्टेज बन जाता है। किरदार पूरे समय सीधे दर्शकों से संवाद करता है और उन्हें नाटक का हिस्सा बना लेता है,यह एकल नाटक है। इसमें कई नाटकों, फिल्मों में काम कर चुके अन्तर्राट्रीय स्तर पर पुरस्कृत ख्याति प्राप्त रूपेश टिल्लू अभिनेता हैं। नाटक में क्लाउन टेक्नीक और माइम टेक्नीक का उपयोग किया जाता है। इसमें लाइव सिंगिंग है, मैकबैथ एक वीर योद्धा है जो चुड़ैलों की भविष्यवाणी के बाद राजा बनने की लालसा में डंकन की हत्या कर देता है। हत्या के बाद मैकबेथ और उसकी पत्नी लेडी मेकबैथ अपराध बोध और भय से ग्रस्त हो जाते हैं। जिससे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। क्या मैकबेथ का भाग्य पहले से तय था या उसके कर्मों का फल? रूपेश सत्ता की लालसा को एक जोकर की तरह प्रस्तुत करते हैं और यह बताते हैं कि यह कितनी हास्यास्पद हो सकती है, मैडबैथ एक ऐसा मजेदार अनुभव है जहां दर्शक इतिहास के सबसे दुखद, क्रूर और विक्षिप्त किरदार के साथ खिलखिलाकर हंसते हैं। मैडबेथ सबसे मजेदार, हाजिरजवाब और अनोखे अंदाज में हंसाता है।
-मिट गयी दर्शक-कलाकार की दूरी
मेडबैथ एक बेहद इंटरैक्टिव फिजिकल कॉमेडी है जो शेक्सपियर के क्लासिक नाटक ’मेकबैथ’ से प्रेरित है, ये जबरदस्त रूपक दर्शक और कलाकार के बीच की दूरी को मिटा देता है। यह प्रदर्शन स्लैपस्टिक, कलाबाजी, माइम, गानों और इम्प्रोवाईजेशन का मिश्रण है। शो बहुत दिलचस्प और मनोरंजक है। इसमें हास्य, मजेदार संवाद और गजब की फुर्ती देखने का मिलती है। यह पागलपन भरा रोमांच शेक्सपियर के महत्वाकांक्षा और पागलपन के विषयों पर एक नया नजरिया पेश करता है, जो अक्ल, कलाबाजी और भरपूर हास्य से बनता गया है, यह ऐसा नाट्य प्रयोग था जो बरसों याद रखा जाएगा। एक अभिनेता ने अपनी तरह तरह की कलाओं से दर्शकों को लगातार हंसने, ताली बजाने के लिए मजबूर कर दिया, नाटक के अंत में सभी दर्शकों ने खड़े होकर देर तक तालियां बजाकर अभिनेता रूपेश टिल्लू का स्वागत किया। यह नाटक रूपेश टिल्लू द्वारा ही लिखा गया और इसकी परिकल्पना और डिजायन भी इन्हीं का था। इसमें उनका साथ दिया रोहित ने और लाइट तथा मैनेजमेंट का काम देखाअभिषेक नारायण ने। नाटक के अंत में इस तीन कलाकारों का स्वागत विवेचना का स्मृतिचिन्ह और गुलदस्ते से किया गया, नाटक शुरू होने से पूर्व बांकेबिहारी ब्यौहार ने समारोह के आयोजन में सहयोग हेतु सभी दानदाताओं, जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन का आभार व्यक्त किया गया। विशेष रूप से एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी और सम्पूर्ण विद्युत परिवार के सहयोग का उल्लेख किया गया । समारोह में नाटकों की समीक्षा हेतु विशेष रूप से पधारे शकील अख्तर, दिल्ली, अनिल रंजन भौमिक इलाहाबाद और मणिमय मुकर्जी भिलाई का अभिनंदन किया गया। विवेचना के इस भव्य आयोजन में दिन-रात मेहनत करने वाले सभी कार्यकर्ताओं का स्वागत हिमांशु राय अनिल श्रीवास्तव, बांकेबिहारी ब्यौहार व मनु तिवारी ने किया।
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