केंद्र सरकार का 2003 के विद्युत एक्ट में बड़े बदलाव का प्लान,कंपनी के कर्मचारियों-अधिकारियों का भविष्य को लेकर आशंकाएं
जबलपुर। आने वाले समय में सरकार बिजली का पूरा इंतजाम आमूलचूल रूप से बदलने की योजना तैयार कर चुकी है। हालाकि, केंद्र सरकार ने इस बदलाव से पूर्व जनता से की सहभागिता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया भी शुरु की है। सुझाव, दावे और आपत्तियां पेश करने की तारीख को अब 14 नवंबर से बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया गया है। एक तरफ सरकार कह रही है कि बिजली वितरण में निजी कंपनियों के प्रवेश से पब्लिक को फायदा होगा,लेकिन बिजली मामलों के जानकार कहते हैं कि कुछ ही समय में इस सेक्टर से सरकार का नियंत्रण समाप्त हो जाएगा और निजी कंपनियां अपना एकाधिकार कर लेंगी,जिस तरह से मोबाइल सेक्टर में हुआ है।
-क्या है, जो बदल जाएगा
दूरसंचार के क्षेत्र में जिस तरह ढेरों कंपनियां मौजूद हैं, ठीक उसी तरह अब बिजली वितरण के क्षेत्र में भी निजी कंपनियों को मौका देने की तैयारी हो रही है। मुम्किन है कि एक ही मोहल्ले में तीन से चार कंपनियों के बिजली कनेक्शन के जरिए विद्युत आपूर्ति की जाए। इसके लिए भारत सरकार विद्युत सुधार बिल 2025 में लाने की तैयारी में है। शासकीय उपक्रम से जुड़े लोगों और निजी उद्योग संचालकों से आपत्ति और सुझाव मांगे गए हैं।
-अपनी बिजली लाइन खींच सकेंगी कंपनियां
बिजली मामलों के जानकार राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि सरकार विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन करना चाहती है। नए बिल में निजी एजेंसी को किसी निजी संपत्ति के ऊपर से भी बिजली लाइन खींचने का अधिकार होगा। इसके अलावा रिन्यूअल एनर्जी के उपयोग का प्रतिशत अभी राज्य विद्युत नियामक आयोग के माध्यम से होता है, जबकि नए बदलाव में यह निर्णय केंद्रीय स्तर पर होगा। रेट में अंतर होने से उपभोक्ता कम रेट वाली कंपनी से बिजली खरीदने के लिए स्वतंत्र होगा। वहीं कहा जा रहा है कि यदि प्राइवेट कंपनियां बिजली महंगी करेंगी, तो लोगों के पास विकल्प सीमित होंगे। विद्युत वितरण कंपनियों में काम करने वाले एक लाख से अधिक अधिकारियों.कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक सकता है।
