जबलपुर जिले के 62 गांवों में थम गये विकास के पहिए, भोपाल स्तर पर भी नहीं दी जा रही जानकारी
जबलपुर। अभी कुछ महीने पहले खबर आ रही थी कि राज्य सरकार बहुत जल्दी जबलपुर सहित प्रदेश के अन्य शहरों के लिए नया मास्टर प्लान तैयार करने में तेजी से तैयारी कर रही है। एक निजी एजेंसी मैपआईडी को इसका काम दिया गया है,लेकिन अब मास्टर प्लान को लेकर कोई चर्चा नहीं है। नगर निगम से लेकर टीएंडसीपी विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि उन्हें मास्टर प्लान के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। इधर, मास्टर प्लान की आहट से पुराने प्रोजेक्ट्स अधर में लटक गये हैं और नए प्रोजेक्ट् भी शुरु नहीं हो पा रहे हैं।
-करोड़ों लगाकर चक्कर काट रहे बिल्डर
जबलपुर का मास्टर प्लान लागू नहीं होने से 62 गांवों में करोड़ों के 25 से अधिक प्रोजेक्ट्स अटके हुए हैं। मप्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम की धारा-16 के तहत भी प्रोजेक्ट्स को मंजूरी नहीं दी जा रही है। धारा-16 के तहत प्रोजेक्ट्स को अनुमति दिए जाने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग के एसीएस और टीएनसीपी के डायरेक्टर से कई बार बातचीत की जा चुकी है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। राज्य शासन ने 7 जुलाई 2021 को शहर के 62 गांवों को नए मास्टर प्लान में शामिल करने के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसके लिए बाकायदा दावे और आपत्तियों की सुनवाई की गई। इसके बाद भी नए गांवों को मास्टर प्लान में शामिल करने की अधिसूचना जारी नहीं की जा रही है। इससे यहां पर चल रहे करोड़ों के लगभग 25 प्रोजेक्ट्स अटक गए हैं। मप्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम के अनुसार जब नए मास्टर प्लान को लागू करने में देरी होती है तो ऐसी स्थिति में धारा 16 के अंतर्गत प्रोजेक्ट्स को अनुमति दी जा सकती है। जबलपुर का मास्टर प्लान 2041 के लिए प्रस्तावित है, जो फाइनल नहीं हो पा रहा है।
-इन गांवों में प्रोजेक्ट्स को नहीं दी जा रही परमिशन
जबलपुर के 62 गांवों को नए मास्टर प्लान में शामिल किया जाना है। इनमें जबलपुर तहसील के जमुनिया, सिलुवा, आमा हिनौता, छतरपुर, बारहा, चौखड़ा, पड़रिया, पिंडरई, हिनौतिया, खम्हरिया, सिलुआ, सालीवाड़ा, नीमखेड़ा, कोसमघाट, पिपरिया कलां और नीमखेड़ा शामिल हैं। पाटन तहसील के आरछा, बिनैकी, लुहारी, बेनीखेड़ा, चौपरा, टिमरी और शहपुरा तहसील के खम्हरिया और मनगुवा शामिल हैं। पनागर तहसील के उमरिया चौबे, ब्याथखेड़ा, बिहर, विजौरी, बिजौरा, बम्हनौदा, ककरतला, गधेरी, घुघ्घूटोला, जैतपुरी, घाना, फूटाताल, बघेली, उर्दुआखुर्द, मनियारीकला, धुवहा, सरसवा, जटवा, गुडगवां, मनियारीखुर्द, बरोदा, जुनवानी, पौड़ी, खम्हरिया, मंगेला, पिपरिया, पटना, पडवारकलां सूरतलाई, बिहरिया, बिलखरवाए पड़वारखुर्द सरखेड़ीए, रैयाखेड़ा, सूखा, डीहाए पिपरिया बनियाखेड़ा और सरूपा गांव शामिल हैं।
-अधिकार पर तकरार
जानकारी के अनुसार, अधिनियम की धारा -16 के अनुसार प्रस्तावित मास्टर प्लान क्षेत्र में संयुक्त संचालक के पास प्रोजेक्ट्स को अनुमति देने के अधिकार थे, लेकिन 2 साल पहले राज्य शासन ने संयुक्त संचालक से अनुमति देने का अधिकार वापस ले लिया। अब अनुमति देने का अधिकार टीएनसीपी मुख्यालय को सौंप दिया गया है। मास्टर प्लान लागू होने के पहले प्रोजेक्ट्स को अनुमति दिए जाने से विवाद की स्थिति बन सकती है, इसलिए अधिकारी प्रोजेक्ट्स को अनुमति नहीं दे रहे हैं। जबलपुर का नया मास्टर प्लान पिछले चार साल से लागू नहीं हुआ है।
