मप्र हाईकोर्ट का फैसला,न्यायमूर्ति ने कहा, ये प्रकरण सुको में लंबित, याचिकाकर्ता वहीं करें आवेदन
जबलपुर। चार साल पहले छतरपुर के डॉ. नीरज की हत्या के प्रकरण में आरोपी मृतक की पत्नि प्रोफेसर ममता पाठक की उस याचिका को हाईकोर्ट ने नामंजूर कर दिया,जिसमें उन्होंने ओपन जेल में रहने की अपील की थी। ममता पाठक सेशन कोर्ट द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा काट रही हैं। उन्होंने याचिका में कहा था कि उन्हें ओपन जेल में रखा जाए, क्योंकि उनका बेटा मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ है। जस्टिस विशाल मिश्रा की अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि जेल मैनुअल के अनुसार वह इस राहत की हकदार नहीं हैं। अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि उनकी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैए इसलिए बेहतर होगा कि वह वहीं उचित आवेदन दायर करें। आरोपित है कि ममता पाठक ने अपने पति डॉ. नीरज को पहले नशीली दवा देकर बेहोश किया और फिर करंट लगाकर उनकी हत्या कर दी।
-साल 2022 में सुनाई थी सजा
जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की डिवीजन बेंच ने 29 जुलाई 2025 को महिला प्रोफेसर को दी गई उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान गवर्नमेंट एडवोकेट सुमित रघुवंशी ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने पहले ही 14 जुलाई 2025 को जेल मुख्यालय को आवेदन दिया था, जिसे खारिज कर दिया गया था। जेल मुख्यालय ने खुले कॉलोनी नियम 2009 के नियम-5 के तहत उन्हें राहत पाने का पात्र नहीं माना। अदालत ने जेल मुख्यालय के आदेश को देखते हुए डॉ. ममता पाठक की याचिका खारिज कर दी और उन्हें सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्र रूप से आवेदन दायर करने का विकल्प दिया।
