आधार में सुधारः अभिभावक दिल्ली से लौटे निराश,जबलपुर में बंधी आस, बच्चों की पढ़ाई अब नहीं होगी बाधित
जबलपुर। दो बच्चे,जो अब तक दो नामों के साथ जी रहे थे। स्कूल रिकॉर्ड में कुछ और नाम दर्ज था तो आधार कार्ड में कुछ और। जब पढ़ाई में वे आगे की कक्षाओं में पहुंचे तो ये दो नाम उनके लिए मुश्किलें खड़ी करने लगे। नतीजन, अभिभावकों ने दिल्ली से लेकर भोपाल तक चक्कर लगाए,लेकिन हल नहीं निकला। आखिरकार उन्हें राहत मिली जबलपुर में। ई-गवर्नेंस के जिला प्रबंधक चित्रांशु त्रिपाठी और उनकी टीम ने इन दोनांे बच्चों की पहचान अब एक कर दी है।
-परिजनों की परेशानी बड़ी थी
शहडोल के सोहागपुर के रहने वाले प्रदीप कुमार पटैल की बेटी के स्कूल के रिकॉर्ड में उसका नाम सारा पटैल के नाम से दर्ज था,लेकिन आधार कार्ड में नाम था अमायरा। बच्ची बड़ी कक्षाओं में जा रही थी तो इन दो नामों के साथ परेशानी आ रही थी। कुछ ऐसी ही परेशानी जबलपुर के उड़िया मोहल्ला निवासी सुशाल याुदव के बेटे शंकर के साथ हो रही थी। इन दोनों बच्चों के परिजन इस दुविधा से निजात पाने आधार के दिल्ली और भोपाल के बड़े ऑफिसों के चक्कर लगाकर निराश होकर लौट आए थे। हाल ही में जब ये बच्चे परिजनों के साथ जबलपुर के ई-गवर्नेंस ऑफिस पहुंचे तो इनकी पीड़ा देखकर श्री त्रिपाठी सहित पूरी टीम एक्टिव हो गयी दिल्ली स्थित आधार के मुख्यालय से पत्राचार किया गया। मेहनत रंग लाई और अब दो नामों के साथ जी रहे बच्चों को उनकी असली पहचान हासिल हुई।
- मुश्किल टास्क, टीम ने किया पूरा
इन दोनों ही मामलों में काफी जटिलताएं थीं,क्योंकि इस रिकॉर्ड को समय पर दुरुस्त नहीं कराया गया था। बच्चांे की आगे की मुश्किलें और अभिभावकों की पीड़ा को देखते हुए हमारी पूरी टीम एक्टिव हुई और पॉजिटिव रिजल्ट सामने आ गये। टीम वर्क से कई मुश्किल काम आसानी से हो जाते हैं,जिसका ये बेहतरीन उदाहरण है।
चित्रांशु त्रिपाठी,जिला प्रबंधक, ई-गवर्नेंस
