पुराने नियमों को ठेंगा दिखा रही बिल्डर लॉबी, अफसर बना रहे नए कायदे!


नया संशोधन : कुल क्षेत्रफल का 10 फीसदी  खुला स्पेस होगा,  25 फीसदी में छायादार पेड़ लगेंगे

जबलपुर। एक तरफ अवैध कॉलोनियों से पब्लिक त्रस्त है तो दूसरी तरफ  ग्राम एवं नगर निवेश के अधिकारीगण कॉलोनी डेवलप करने के नए कायदे बना  रहे हैं। नई नियमावली कैसे कारगर होगी ये बड़ा सवाल है,जिसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। हां, ये जरूर है कि बिल्डर लॉबी नए कायदों को समझने में जुट गयी है। नए नियम अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक लागू किए जाने की संभावना है। ग्राम एवं नगर निवेश (टीएंडसीपी) के नए संशोधन के मुताबिक अब कॉलोनी में एक निश्चित क्षेत्र को खुले स्पेस के लिए छोड़ना पड़ेगा। मप्र भूमि विकास अधिनियम और कॉलोनी विकास की शर्तो में संशोधन के बाद ऐसा हो सकेगा। कोई भी डेवलपर सिर्फ मकानए सड़क बनाकर काम पूरा नहीं कर पाएगा। 

-शुरुआत 10 हैक्टेयर से

सूत्रों के अनुसारए फिलहाल ये नया नियम 10 हैक्टेयर वाली कॉलोनी काटने वाले बिल्डरों पर लागू होगा। इसके बाद धीरे.धीरे इस कायदे का आगे विस्तार किया जाएगा। विभाग को उम्मीद है कि इससे ना केवल हरियाली बढ़ेगीएबल्कि कॉलोनी में रहने वालों को बेहतर सुविधाएं भी मिल सकेंगी। दस हेक्टेयर की कॉलोनी है तो वहां एक हेक्टेयर क्षेत्रफल सिर्फ पार्क व मैदान के तौर पर होगा।

-ऐसे होंगे नए नियम-कायदे

-10 से 40 हेक्टेयर की कॉलोनी है तो 60 फीसदी विकसित किया जा सकेगा।

-60 फीसदी विकसित किए जाने वाले क्षेत्र का 80 फीसदी आवासीय विक्रय होगा।

-20 फीसदी वर्क सेंटर यानि दुकानों के तौर पर विक्रय किया जाएगा।

-कॉलोनी विकास की अनुमति देते समय ही ग्रीन एरिया का क्षेत्रफल आरक्षित किया जाएगा।

- कुल क्षेत्र का कम से कम 10 फीसदी  पार्क व खुला क्षेत्र रखना होगा।

-25 फीसदी क्षेत्र वनीकरण के तौर पर यानी छायादार पेड़ लगाने होंगे।

-5 फीसदी क्षेत्र में सामाजिक अधोसंरचनाएं विकसित करनी होंगी।

-15 फीसदी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आवासीय इकाईयों में आरक्षित होंगी।


-नासूर बन चुकी हैं अवैध कॉलोनियां

जबलपुर में अवैध कॉलोनियां नासूर बन चुकी हैं। जिस तरफ का भी रुख करो,वहां अवैध कॉलोनियों की लंबी कतारें हैं। जिला प्रशासन और नगर निगम के साथ राजनीतिक चेहरों ने मिलकर शहर की खूबसूरती का बंटाढार कर रखा है,बल्कि इसकी खूबसूरती और हरियाली भी चौपट की जा रही है। हालाकि, हाल ही सरकार ने अवैध कॉलोनियों पर शिकंजा कसने का अभियान छेड़ा है,लेकिन ये अभियान कागजों में ही रेंग रहा है। अवैध कॉलोनियों को काटने वालों की पूरी कुंडली विभागों के पास है,लेकिन कार्रवाई ना होना बेहद शर्मनाक है। दूसरी तरफ वो आम आदमी है,जो आशियाने की चाह में अवैध कॉलोनी के फेर में फंस गया और अब अपनी किस्मत को रो रहा है। इन कॉलोनी में पार्क और खुले स्पेस की उम्मीद ही नहीं की जा सकतीएक्योंकि यहां के बाशिंदे वैध बिजली कनेक्शन और सड़कों को तरस रहे हैं। वे बिल्डर आज भी आलीशान जिंदगी जी रहे हैं, जो आम लोगों को अवैध कॉलोनी नामक नरक के हवाले कर गए हैं।

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