पाटन के रावण भक्त संतोष ने ली अंतिम सांस, सालों साल याद रखा जाएगा ये किरदार
जबलपुर। जिसने पूरी जिंदगी राक्षसराज रावण की भक्ति में बिता दी, उसकी अंतिम इच्छा थी कि वो अयोध्या जाकर राम मंदिर में भगवान राम के श्री चरणों के दर्शन करे।लेकिन, होनी को कुछ और ही मंजूर था और ये इच्छा पूरी होने से पहले ही उसे मौत ने घेर लिया। पाटन के संतोष नामदेव की रावण भक्ति इस चरम पर पहुंच गयी थी कि पूरा इलाका उन्हें लंकेश के नाम से पुकाराता था। पचास साल से भी ज्यादा वक्त बीत गया,जब संतोष ने रामलीला में दशानन का किरदार अदा किया और यही भूमिका उसकी जाती जिंदगी में भी उतर गयी। रोचक ये है कि कलयुग का ये लंकेश रावण के साथ राम और शिव का भी अनन्य भक्त था।
-धूमधाम दी गयी अंतिम विदाई
लंकेश की अंतिम विदाई भी यादगार रही। ढोल शहनाई और आतिशबाज़ी के साथ लोगों ने उन्हें अंतिम यात्रा पर रवाना किया। इलाके में संतोष नामदेव के कई किस्से मशहूर थे। वो मानते थे कि रावण ने अपने कुल को बचाने के लिए राम से युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त हुआ। इस लंकेश ने भी अपने बेटों के नाम मेघनाद और अक्षय रखे थे। बेटों की शादी के कार्ड में भी संतोष ने जय लंकेश छपवाया था। कोरोना काल के दौरान लंकेश ने कलेक्टर जबलपुर से मुलाकात की और अपनी देहदान की इच्छा जाहिर की। हालाकि, उसकी मौत के बाद परिजनों ने देहदान नहीं करने दिया। संतोष ने अपने किसी दोस्त से नवरात्रि के पहले कहा था कि शायद ये आखिरी त्यौहार है और हुआ भी ऐसा ही। दो दिन पहले हार्ट अटैक से लंकेश का निधन हो गया।
