बिजली अफसरों ने मंत्री के सामने थपथपा ली अपनी ही पीठ, जनसंपर्क विभाग की गफलत से औंधे मुंह गिर गया जनहितैषी प्रोजेक्ट, आला अधिकारियों का मौन समझ से परे
जबलपुर। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी जिस वी.मित्र एप की कामयाबी का यशगान कर रहे हैं,उसकी हकीकत इतनी बेहतरीन नहीं है,बल्कि पर्दे के पीछे केवल आंकड़ों का खेल चल रह है। कंपनी के अधिकारियों और जनसंपर्क विभाग के झूठे प्रचार अभियान ने कंपनी और राज्य सरकार दोनांे की साख को धक्का लगाया है। मजेदार है कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के 65 लाख उपभोक्ताओं में से सिर्फ 28 हजार उपभोक्ताओं ने ही इस एप को डाउनलोड किया है। इस एप को पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के पीआरओ सेक्शन ने जिस तरह से हैंडल किया है,वो ना तो प्रोफेशनल साबित हुआ और ना ही कारगर।
-काम धेले का नहीं, पेमेंट लाखों की
कंपनी के अधिकारियों और पीआरओ सेक्शन ने वी.मित्र एप को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने और प्रचार.प्रसार करने के लिए जिन एजेंसियों और एक्सपर्ट को लाखों रुपये में काम दिया है,वो काम नहीं कर रहे हैं। यदि ये एजेंसियां काम कर रही होतीं तो आंकड़े इतने निराशाजनक नहीं होते। पता नहीं बिजली कंपनियों के आला अधिकारी जमीनी हकीकत को नजरअंदाज क्यों कर रहे हैं,क्योंकि इसकी शिकायतें भोपाल तक पहुंच चुकी हैं। हाल ही, प्रदेश के उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने अपने प्रवास के दौरान अधिकारियों से वी.मित्र एप के बारे में जानकारी मांगी थी,जिस पर अधिकारियों ने आंकड़े थमा दिए। इन आंकड़ों को लेकर मंत्री ने कुछ सवाल भी किए थे,लेकिन उस वक्त उन सवालों के जवाब दे दिए गये। हालाकि, मंत्री ने विस्तारपूर्वक पूरी रिपोर्ट भोपाल भेजने के लिए कहा था।
-है क्या ये वी मित्र एप
वी.मित्र एप उपभोक्ताओं के पास एक ऐसी सुविधा है,जिसके जरिए वे शिकायत कर सकते हैं और बदले में बिजली कंपनी से पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं। ये एप अपने ‘ाुरुआती दौर से ही चर्चाओं में रहा है। उस वक्त भी प्रश्न उठाया गया था कि जनसंपर्क विभाग ने इसके प्रचार में लाखों रुपये फूंक दिए थे और जमीन पर कोई असर नहीं दिख रहा था। हालाकि, अब भोपाल स्तर पर शिकायतें की गयी हैं,जिन जल्दी ही जांच ‘ाुरु होने की संभावनाएं हैं।
