जबलपुर के शहपुरा के खैरी में उजागर हुआ सनसनीखेज मामला, नियमों को ताक पर रख शुरु की प्रक्रिया, तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी ले लिया था सख्त एक्शन
जबलपुर। क्या ऐसा संभव है कि जिन नामों को कलेक्टर भू-माफिया घोषित कर दें, उन्हीं नामों को तहसीलदार सरकारी जमीन का आवंटन करने के लिए प्रक्रिया शुरु कर दे। जबलपुर में ऐसा ही हो रहा है। तत्कालीन कलेक्टर इलैटी टीराजा ने जिन्हें भू-माफिया घोषित कर उनके कब्जे को उखाड़ फेंक दिया था,अब शहपुरा तहसीलदार ने उन्हें 25 एकड़ सरकारी जमीन आवंटित करने कागजी कार्रवाई शुरु कर दी है। भारतीय किसान संघ,ग्राम पंचायत और ग्राम कोटवार की सजगता से मामला उजागर हो गया। कलेक्टर कार्यालय ने इस मामले की जांच शुरु कर दी है।
-ये है इस खेल की पूरी कहानी
13 मार्च 2022 में तत्कालीन कलेक्टर इलैया टीराजा ने भू-माफिया घोषित किए गये जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमए खान से 45 एकड़ शासकीय भूमि बुलडोजर कार्रवाई से मुक्त कराई थी, लेकिन अब राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से उसी जमीन को दोबारा निजी नामों पर दर्ज शहपुरा तहसीलदार कार्यालय से 8 सितंबर 2025 को जारी आम इश्तहार में नदीम खान, हाजी फिरोज कमाल, शमा परवेज, अशफाक और आशीष नेल्सन अल्बर्ट के नाम 2-2 हेक्टेयर शासकीय भूमि दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई। जबकि आपत्ति की अंतिम तारीख का आम प्रकाशन का पत्र तहसीलदार द्वारा 24 सितंबर 2025 को बनाया गया। लेकिन महीना बीत जाने के बाद ग्राम पंचायत को सूचना 3 अक्टूबर 2025 को कोटवार को पत्र दिया गया। यह पूरी प्रक्रिया ही मामले को फर्जी साबित करती है।
--किसी नियम के तहत पात्रता नहीं
सरकारी जमीन पर कब्जा करने के इच्छुक लोग पहले से भू माफिया घोषित हो चुके थे, न वो गरीबी रेखा में है। न ही वह उस गांव के निवासी है और न ही वह पट्टा की पात्रता में आते हैं। बावजूद इसके जिला प्रशासन के अमले ने भू-माफिया के नाम सरकारी भूमि हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया। ग्राम पंचायत खैरी के सरपंच सौरभ पटेल और भारतीय किसान संघ ने इसे राजस्व अधिकारियों की संलिप्तता से रची गयी साजिश करार दिया है। सरपंच ने तहसीलदार शहपुरा को पत्र लिखकर कहा कि जिन व्यक्तियों को भूमि दी जा रही है, वे न तो ग्राम निवासी हैं, न ही पात्रता रखते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इस भूमि घोटाले की शिकायत मई 2021 और उसके बाद 2024 में ही कलेक्टर को दी गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब तहसीलदार सुमित गुप्ता पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने पूर्व कलेक्टर की कार्रवाई के बाद भी इन्हीं भू-माफियाओं को लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया कैसे शुरू कर दी। ग्राम पंचायत ने मांग की है कि फर्जी प्रक्रिया को निरस्त कर दोषी राजस्व अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। अन्यथा किसान संघ और ग्रामीण जिला मुख्यालय पर आंदोलन करेंगे।
-इस खेल मेें कई विभाग हिस्सेदार
मामले में तहसीलादर सुमित गुप्ता ने सवाल के जवाब में बताया कि उन्हें अपर कलेक्टर ग्रामीण के कार्य इस आवेदन पर आगामी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। चूंकि मामले में आवेदक हाई कोर्ट की शरण में गए थे। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यदि आवेदक पट्टे की पात्रता रखते हैं तो उचित निर्णय जिला प्रशासन ले सकता है। लेकिन सरकारी भूमि जो कि पूर्व में उद्यान की विभाग के अलावा उद्योग विभाग के नाम पर दर्ज है। उसे किसी निजी व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं की जा सकती है। यह जानकारी स्वयं तहसीलदार ही दे रहे हैं। बावजूद आम प्रकाशन के नाम पर बैक डेट में पत्र जारी किया गया। जिसका विरोध ग्राम पंचायत और कोटवार ने ही कर दिया है। वही सभी घोषित भू माफिया के खिलाफ तीन साल पहले से लोकायुक्त पुलिस और ईओडब्ल्यू में भी शिकायत हो चुकी थी। लेकिन आज भी शिकायत लंबित है और कोई कार्रवाई देखने नहीं मिली।
वर्जन
तहसीलदार देंगे जवाब, सख्त कार्रवाई करेंगे
मामले को बेहद गंभीरता से लिया गया है। तहसीलदार शहपुरा से जवाब तलब किया गया है। निश्चित तौर पर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकारी जमीन की बंदरबांट किसी हाल में बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
राघवेंद्र सिंह, कलेक्टर जबलपुर
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