जबलपुर। खबर है कि मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के दवा घोटाले में ईओडब्ल्यू अब दवा खरीदी के उस रिकॉर्ड को खंगाल रही है,जो 2012-13 के पहले के हैं। संभावना है कि दवा खरीदी में फर्जीवाड़े का ये खेल पहले से चल रहा है। ईओडब्ल्यू ने अभी तक उसी अवधि के बिल और दस्तावेज खंगाले हैं,जिनके बारे में शिकायत की गयी है। ईओडब्ल्यू ने दवा खरीदी से जुड़े अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों से भी पूछताछ की प्लानिंग की है।
-अब तक क्या कार्रवाई हुई
ईओडब्ल्यू ने तमाम जांच के बाद मेडिकल की तत्कालीन संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक सविता वर्मा सहित फार्मासिस्ट आरपी दुबे, मेडिनोवा फार्मासिटिकल एंड सर्जिकल डिस्ट्रीब्यूटर नेपियर टाउन के संचालक पर एफआईआर दर्ज की। मामले के अनुसार, मेडिकल में वर्ष 2012-13 में मेडिनोवा फार्मासिटिकल कंपनी से प्रावधानों को दरकिनार कर 7.63 करोड़ रुपए की दवाएं एवं सर्जिकल सामग्री खरीदी गई। इसमें मेडिनोवा को 1.25 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया गया। वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए मेडिकल में दवाएं एवं सर्जिकल आइटम खरीदी के लिए टेंडर जारी किया गया था। टेंडर डालने वाले पांच निविदाकारों ने नियम व शर्तों पर आपत्ति दर्ज की थी। इस पर अगले टेंडर जारी होने तक 6 ठें निविदाकार मेसर्स मेडिनोवा से अनुबंध किए जाने का अभिमत दिया गया। 18 अक्टूबर 2011 को मेडिनोवा से अनुबंध कर आपत्तिकर्ता फर्मों की सिक्योरिटी मनी राजसात कर ली गई।
-वित्त अधिकारी की राय ठेंगे से
फार्मासिस्ट आरपी दुबे ने 11 जनवरी 2012 को क्रय शाखा का प्रभार लिया था। लेकिन, वित्त अधिकारी के अभिमत को न मानते हुए दुबे वर्ष 2013 तक मेसर्स मेडिनोवा से दवाएं तथा सर्जिकल आइटम महंगे दामों पर खरीदते रहे। तत्कालीन संयुक्त संचालक एवं मेडिकल कॉलेज की अधीक्षक सविता वर्मा ने मेडिनोवा को लाभ पहुंचाने के लिए अनुबंध की समाप्ति तिथि का जिक्र ही नहीं किया।
