मध्यप्रदेश में बाघों के शिकार पर ' सुको ' सख्त, केन्द्र से मांगा जवाब


नई दिल्ली।
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों के संगठित शिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से जवाब तलब किया है। याचिका में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों की तस्करी और शिकार का आरोप लगाया गया है, साथ ही इसकी CBI जांच की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।

महाराष्ट्र सरकार की एसआईटी जांच में शिकारी, तस्करों और हवाला नेटवर्क का संगठित गिरोह उजागर हुआ है, जो बाघों की खाल, हड्डियों और ट्रॉफी को राज्य की सीमाओं से बाहर और विदेशों तक तस्करी करता है। याचिका में बताया गया कि बाघों का शिकार अब संरक्षित क्षेत्रों से बाहर वन प्रभागों और कॉरिडोर में ज्यादा हो रहा है, जहां निगरानी और सुरक्षा कमजोर है। वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) ने इन क्षेत्रों को बाघों के फैलाव के लिए महत्वपूर्ण बताया है।

याचिकाकर्ता के वकील गौरव कुमार बंसल ने कोर्ट में कहा कि भारत में 30% से अधिक बाघ संरक्षित क्षेत्रों के बाहर पाए जाते हैं। उन्होंने दावा किया कि तस्करी का यह संगठित नेटवर्क वन गुर्जर समुदाय जैसे आदिवासी समूहों से जुड़े गिरोहों को भी शामिल करता है। बंसल ने इस गंभीर मामले की सीबीआई जांच की मांग की।

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