पुलिस अधिकारियों के अनुसार 27 मई को जन्मी इस बच्ची को लेकर दादी मीनाबाई खुश नहीं थी क्योंकि उसे पोते की चाहत थी। घटना शुक्रवार के दिन बच्ची कृतिका आंगन में झूले पर सो रही थी। मां मीरा घर के पीछे बर्तन धो रही थी। इसी दौरान मौका पाकर मीनाबाई ने बच्ची के मुंह में गमछा ठूंस दिया जिससे उसकी सांसें थम गईं। बच्ची की मौत के बाद मीनाबाई ने शव को पोटली में बांधकर सूखे कुएं में फेंक दिया और बचने के लिए अपने बाड़े की सफाई करने लगी। बच्ची के अचानक गायब होने के बाद पूरा गांव उसकी तलाश में जुट गया। खोजबीन के दौरान ग्राम कोटवार और बच्ची के दादा निर्भय सिंह ने कुएं में पोटली देखी थी। मीनाबाई ने यह कहकर उसे निकालने से रोक दिया था कि उसमें महावारी के गंदे कपड़े रखे हैं। बाद में पुलिस ने जब पोटली खोली तो उसमें बच्ची का शव मिला।
3 दिन तक कुएं में पड़ी रही शव की पोटली-
बच्ची के पिता शुभम अशवारे ने बताया कि मैं काम पर गया हुआ था। तभी घर से सूचना मिली की बच्ची गायब हो गई है। उसके बाद हमने बहुत ढूंढा पर वो नहीं मिली। जिस पोटली में लाश मिली वह तो 3 दिन से कुएं में पड़ी हुई थी।