ऑपरेशन सिंदूर में गरजी थी जबलपुर में बनी ये गन, अब लाल किले से भी दुनिया को सुनायेगी धमक

 
नई दिल्ली/जबलपुर.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने स्वदेशी हथियारों के जरिए पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. ऑपरेशन सिंदूर में गरजने वाली भारतीय 105 एमएम गन लाल किले से अपनी धमक एक बार फिर से सुनाएगी. 15 अगस्त को 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर 21 तोपों की सलामी स्वदेशी लाईट फील्ड गन से दी जाएगी. जिसकी तैयारियां जोर-शोर से की जा रही है. उल्लेखनीय है कि ये गन मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में निर्मित हुई है.

पिछले 3 सालों से हर स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान इन्हीं स्वदेशी गनों से 21 तोपों की सलामी दी जा रही है. स्वदेशी 105 मिमी इंडियन फील्ड गन से राष्ट्रगान के 52 सेकेंड तक 21 राउंड फायर किया जाएगा. वहीं इससे पहले लाल किले पर ध्वजारोहण के दौरान ब्रिटिश 25 पाउंडर गन से सलामी दी जाती थी. रक्षा के क्षेत्र में भारत अब आत्मनिर्भर हो रहा है, अब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्वदेशी गन की गरज सुनाई देगी.

ये है स्वदेशी गन की खासियत

यह भारत की स्वेदशी गन है. इसके दो तरह के वेरियंट हैं. एक का नाम इंडियन फील्ड गन है, और दूसरे का नाम लाइट फील्ड गन है. लाइट फील्ड गन वजन की तुलना में इंडियन फील्ड गन से हल्की है. इसे हेलिकॉप्टर के जरिए आसानी से किसी भी दुर्गम इलाके में तैनात किया जा सकता है, खासतौर से खासकर के पहाड़ों पर. इसकी मारक क्षमता 16 से 20 किलोमीटर तक की है. लाइट फील्ड गन 105 मिमी का एक उन्नत फील्ड आर्टिलरी हथियार सिस्टम है, जिसमें हल्केपन के साथ-साथ ताकत भी है.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी जबर्दस्त डिमांड

यह एक मिनट में 6 राउंड फायर कर सकती है. भारतीय सेना में इसको 1982 में शामिल किया गया था. इसका निर्माण ऑर्डिनेन्स फैक्ट्री बोर्ड ने किया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद इसकी मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है. इसकी मांग में बढ़ोतरी को देखते हुए इसको बढ़ाकर 36 किए जाने का फैसला किया गया है. मध्य प्रदेश के जबलपुर में तोपगाड़ी निर्माणी (जीसीएफ) 18 लाइट फील्ड गन (एलएफजी) का निर्माण कर रही है.

Post a Comment

Previous Post Next Post