बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में भी नीट-यूजी परीक्षा में फर्जी ईडबलूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) सर्टिफिकेट के जरिए मेडिकल सीट हासिल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। 3 छात्राओं (श्रेयांशी गुप्ता, सुहानी सिंह और भाव्या मिश्रा) ने ईडबलूएस कोटे का दुरुपयोग कर एमबीबीएस में प्रवेश लिया था। जांच में खुलासा हुआ कि इनके नाम पर तहसील से कोई वैध सर्टिफिकेट जारी ही नहीं हुआ था।
पूरा मामला तब सामने आया, जब मेडिकल शिक्षा विभाग ने छात्रों के दस्तावेजों की जांच के लिए उनकी जानकारी तहसील कार्यालय को भेजी। तहसीलदार गरिमा सिंह ने स्पष्ट किया कि भाजपा नेता सतीश गुप्ता की भतीजी श्रेयांशी गुप्ता (पिता सुनील गुप्ता, सरकंडा निवासी), सुहानी सिंह (पिता सुधीर कुमार सिंह, लिंगियाडीह, सीपत रोड निवासी) और भाव्या मिश्रा (पिता सूरज कुमार मिश्रा, सरकंडा निवासी) के नाम पर न तो कोई आवेदन प्राप्त हुआ है और न ही कोई ईडबलूएस सर्टिफिकेट जारी किया गया है। बिलासपुर एसडीएम मनीष साहू ने बताया कि जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है और आगे की कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
ईडबलूएस कोटा सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य जरूरतमंदों को शैक्षणिक अवसर देना है। लेकिन इन छात्राओं ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे इस कोटे का गलत फायदा उठाया और मेडिकल काउंसलिंग के जरिए ईडबलूएस सीट हासिल कर ली। प्रशासन अब इस बात की गहन जांच कर रहा है कि ये फर्जी सर्टिफिकेट कैसे तैयार हुए और इसे बनाने में कौन-कौन शामिल था?
इस मामले में पुलिस-प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है। मामले की जांच इस एंगल से भी की जा रही है कि कहीं इस फर्जीवाड़े में कोई बड़ा रैकेट तो शामिल नहीं? इस घटना ने शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और निगरानी की अनिवार्यता को एक बार फिर से साबित कर दिया है।