नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तानी नेताओं को जुबान पर कंट्रोल रखने की सलाह दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आजसाप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि पाकिस्तानी नेता भारत के खिलाफ गैर-जिम्मेदार, युद्ध भड़काने वाले व नफरत फैलाने वाले बयान दे रहे हैं।
श्री जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तानी नेता अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए बार-बार ऐसे बयान देते हैं। उन्हें अपनी जुबान पर कंट्रोल रखना चाहिए क्योंकि अगर उन्होंने कोई गलत कदम उठाया तो उसका नतीजा बहुत बुरा होगा। दरअसलए सिंधु जल समझौते के निलंबन को लेकर पिछले 48 घंटों में 3 पाकिस्तानी नेताओं ने भारत के खिलाफ धमकी भरे बयान दिए हैं। इनमें आर्मी चीफ आसिम मुनीर, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ व पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो शामिल हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच का सिंधु जल समझौता क्या है-
सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां हैं जिसमें सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास व सतलुज। इनके किनारे का इलाका करीब 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 47 प्रतिशत जमीन पाकिस्तान, 39 प्रतिशत जमीन भारत, 8 प्रतिशत जमीन चीन व 6 प्रतिशत जमीन अफगानिस्तान में है। इन सभी देशों के करीब 30 करोड़ लोग इन इलाकों में रहते हैं। 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से ही भारत के पंजाब व पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का झगड़ा शुरू हो गया था।
-1947 में भारत और पाक के इंजीनियरों के बीच स्टैंडस्टिल समझौता हुआ। इसके तहत दो मुख्य नहरों से पाकिस्तान को पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक चला।
-1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन पर खेती बर्बाद हो गई। दोबारा हुए समझौते में भारत पानी देने को राजी हो गया।
-इसके बाद 1951 से लेकर 1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत पाकिस्तान में पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत चली और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू व पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच दस्तखत हुए थे। इसे इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि कहा जाता है।
भारत ने इस समझौते को रद्द किया-
भारत ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के दूसरे दिन 24 अप्रैल को पाकिस्तान के साथ 65 साल पुराना सिंधु जल समझौता रोक दिया था। इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे।