जबलपुर/कोटा। पश्चिम मध्य रेलवे द्वारा हाल ही में जारी की गई सुपरवाइजरों की ग्रुप बी में पदोन्नति की लिखित परीक्षा के परिणाम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस सूची में कोटा मंडल में ऐसे सुपरवाइजरों को भी सहायक मंडल इंजीनियर और एपीओ बनने का अवसर दिया गया है, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में सीबीआई और एसीबी में मामले दर्ज हैं। यह अंतिम निर्णय हालांकि साक्षात्कार के बाद ही जारी होगा।
मामले की जानकारी के अनुसार, पदोन्नति सूची में शामिल कोटा मंडल के एक सुपरवाइजर को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक पेड़ काटने वाले ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद कुछ समय जेल में रहने के बाद उसे जमानत मिली थी।
वहीं, एक अन्य कल्याण निरीक्षक का नाम भी इस सूची में है, जिसे रेलवे ने कोटा मंडल में एलआई पदोन्नति परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप में नौ महीने तक निलंबित रखा था। इस पूरे प्रकरण की जांच दिल्ली सीबीआई कर रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि नौ महीने के निलंबन के बावजूद अधिकारियों ने उसे चार्जशीट नहीं थमाई, जिससे उसकी पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया।
रेलवे के इस निर्णय को लेकर कर्मचारियों के बीच गहरी चर्चा है। वे प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन जानबूझकर इन मामलों से अनजान बना हुआ है।