निजी पैथोलॉजी लैब में हिस्सेदारी, दो विवाह करना, सेवा पुस्तिका में फर्जी पन्ने, बिना अनुमति अचल संपत्ति खरीदना और अवैध रूप से नियुक्ति प्राप्त करने का आरोप
जबलपुर। प्रभारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा दो पत्नियों के मामले में फंसते चले जा रहे हैं। इन पर निजी पैथोलॉजी लैब में हिस्सेदारी, सेवा पुस्तिका में फर्जी पन्ने, बिना अनुमति अचल संपत्ति खरीदना और अवैध रूप से नियुक्ति प्राप्त करने के साथ दो विवाह करने का आरोप है। इस आशय संबंधी एक आरोप पत्र उप संचालक शिकायत संचालनालय लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, मध्यप्रदेश ने कमिश्नर के माध्यम से दी है।
आरोप पत्र के अधार पर बताया गया है कि डॉ. संजय मिश्रा पर नरेन्द्र कुमार राकेशिया ने शिकायत कर आरोप लगाए हैं। इसमें विभागीय जांच करते हुए यह पाया है कि प्रभारी, सीएमएचओ मिश्रा की निजी लैबों में हिस्सेदारी, फर्जी दस्तावेज, दो विवाह और बेनामी संपत्ति में गड़बड़झाला किया गया है। डॉ मिश्रा के द्वारा बिना शासन की अनुमति के मप्र शासन के प्रचलित नियमों के विरूद्ध पैथोलाजी सेंटरों का संचालन किया जा रहा है और उक्त आरोप के उत्तर में प्रस्तुत सीएमएचओ ने अपने कथन में स्वयं यह स्वीकार किया गया है कि एप्पल पैथोलॉजी लैब, फेथ पैथोलॉजी लैब एवं दिव्यता इंस्ट्रीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जैसे निजी केंद्र पहले उनके नाम से पंजीकृत थे। इनका संचालन उनके द्वारा किया गया था। परफेक्ट इंडोकेयर लैब के संचालन संबंधी रजिस्ट्रेशन में नाम आज भी दर्ज पाया गया है।
मिश्रा की पहली पत्नी तृप्ति मिश्रा के जीवित रहते हुये दूसरी महिला इशिप्ता सिंह मिश्रा से विवाह किया। यह मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 22 का घोर उल्लघंन कर कदाचरण किया है। आपके द्वारा पूर्व में स्वयं यह स्वीकार किया गया कि तृप्ति मिश्रा आपके घर पर रहकर आपकी अस्वस्थ मां की देखभाल करती थी। डॉ मिश्रा ने स्वयं यह स्वीकार किया गया है कि उन्होंने कोषालय सॉफ्टवेयर आईएफएमआईएस में दर्ज परिवार विवरण में 2017 के पश्चात पत्नि के नाम में परिवर्तन किया है। इप्शिता सिंह मिश्रा के साथ मिलकर संयुक्त नाम से रामपुर, जबलपुर स्थित ओजस इम्पीरिया नामक हाउसिंग प्रोजेक्ट में बिना शासन के अनुमति के फ्लैट क्रं. 1201 अचल संपति का 50 लाख का भुगतान कर क्रय किया है।
प्रमुख पद पर रहते हुये मिश्रा ने सेवा अभिलेखों में कूटरचित तरीके से षडयंत्रपूर्वक पृथक से 08 पृष्ठ जोड़े गये हैं, जिसमें दूसरी पत्नी के रूप में तृप्ति मिश्रा का नाम दर्ज था। इस प्रकार आपने शासकीय अभिलेखों एवं सेवा पुस्तिका में हेराफेरी व छेडछाड़ की गई है। डॉ. मिश्रा ने इसका जवाब देते हुए माना कि उन्होंने पेंशन फॉर्म में तृप्ति मिश्रा को पत्नी के रूप में दर्ज कराया, क्योंकि वह उनकी मां की सेवा करती थीं और घर में रहती थीं।
आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि वर्ष 1990 में लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयन होने के बाद भी अपने चयनित पद पर डॉ मिश्रा 7 वर्ष के पश्चात उपस्थित हुए। डॉ. मिश्रा ने अपने कथन में बताया कि वे वर्ष 1990 में पैथोलाजी विषय में अध्ययन कर रहे थे जिसके लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मंडला द्वारा अनुमति दी गई लेकिन डॉ मिश्रा के द्वारा उपरोक्त वर्णित अनुमति के संबंध में कोई दस्तावेज व साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए।