पेरेंट्स से मनमानी और अवैध वसूली का आरोप
भोपाल। मध्यप्रदेश के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और अवैध वसूली का मामला राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पहुंचा है। ऐसी कई शिकायतों समेत अन्य मामलों को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने दिल्ली में आयोग से शिकायत की है। त्रिपाठी ने इस मामले की लिखित शिकायत आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो को सौंपी है। साथ ही फीस, किताबें, ड्रेस के नाम पर की जा रही अवैध वसूली और भारी स्कूल बैग से हो रहे बच्चों के शोषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
नहीं मान रहे शासन का भी निर्देश
त्रिपाठी ने शिकायत में उल्लेख किया है कि प्रदेश के अधिकतर निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर खुलेआम व्यापार कर रहे हैं. अभिभावकों से प्रवेश शुल्क, वार्षिक शुल्क, कंप्यूटर शुल्क, स्मार्ट क्लास शुल्क, बिल्डिंग फंड जैसी मनमानी वसूली के साथ-साथ किताबें, ड्रेस, जूते, बैग आदि पर कमीशनखोरी कर करोड़ों की अवैध कमाई की जा रही है. त्रिपाठी ने कहा, '' बच्चों के भारी भरकम स्कूल बैग उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं हैं, शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद स्कूल प्रबंधन हर साल किताबों की संख्या और सिलेबस में फेरबदल कर रहा है।''
जांच कमेटी ने नहीं की कार्रवाई
विवेक त्रिपाठी ने कहा, '' कांग्रेस पार्टी बच्चों के भविष्य, उनके अधिकार और शिक्षा के निजीकरण के नाम पर हो रही खुलेआम लूटपाट और अभिभावकों के शोषण के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ती रहेगी। आगामी विधानसभा सत्र में कांग्रेस शिक्षा माफियाओ की इस लूट के मामले को मुखरता के साथ उठाएंगे।'' त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन इन स्कूलों की अवैध गतिविधियों में पूरी तरह से मिलीभगत कर रहा है. जांच और निरीक्षण केवल कागजों तक सीमित है. इसीलिए भोपाल कलेक्टर द्वारा बनाई गई जांच कमेटी भी आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है।
मानव अधिकार आयोग से शिकायत में की गई प्रमुख मांगें
- प्रदेश के सभी निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली और मनमानी की उच्चस्तरीय जांच हो।
- अवैध वसूली, कमीशनखोरी एवं बच्चों के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- बच्चों और अभिभावकों के शोषण को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएं पाठयक्रम में एनसीईआरटी की किताबो को शामिल किया जाए।
- दोषी स्कूल प्रबंधन और अधिकारियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई हो।
- हर स्कूल में सशक्त अभिभावक संघ का गठन कर उसकी निगरानी में प्रशासनिक अधिकारियों की भागीदारी सुनिश्चित हो।