पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि मेरा मानना है कि कांवडिय़ों के वेश में कोई तोडफ़ोड़, हिंसा, मारपीट, लोगों की गाडिय़ां तोड़ रहा है या जला रहा है। मिजऱ्ापुर में सेना के जवान को पीटा गया है। वे गुंडे, माफिया, सरकार द्वारा संरक्षित अपराधी हैं। इसीलिए सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करती और उन पर फूल बरसा देती है। यह तीखी टिप्पणी उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्गों पर तोडफ़ोड़ व मारपीट की घटनाओं के बीच आई है। नामपट्टिकाओं पर विवाद को लेकर सड़क किनारे ढाबों व स्टॉलों को निशाना बनाने की घटनाएं भी सामने आई हैं। पिछले हफ़्ते मेरठ में कांवडिय़ों ने एक स्कूल बस में तोडफ़ोड़ की जब कथित तौर पर एक स्कूल बस उनमें से कुछ को टक्कर मार गई थी। वायरल हुए वीडियो में गुस्सा, तीर्थयात्री बस में चढ़ते व ड्राइवर की पिटाई करते और उसके शीशे तोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। एक अन्य घटना में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन टिकट को लेकर हुए विवाद में कांवडिय़ों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान को घूंसा मार दिया। इस मामले में सात कांवडिय़ों को गिरफ्तार किया गया है। कई शिकायतों के बीच उत्तर प्रदेश ने 23 जुलाई को समाप्त होने वाली इस यात्रा के दौरान कांवडिय़ों के लाठी, त्रिशूल, हॉकी स्टिक और इसी तरह की अन्य चीज़ें ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रशासन ने ध्वनि प्रदूषण और सार्वजनिक उपद्रव को रोकने के लिए बिना साइलेंसर वाली मोटरसाइकिलों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।