नई दिल्ली. भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार रेलवे बोर्ड देश के दो प्रमुख रेलवे स्टेशनों का सुरक्षा घेरा प्राइवेट कंपनियों के हाथों में जा रहा है। हरियाणा व पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन और लखनऊ का गोमतीनगर स्टेशन को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। बाद में देश के अन्य रेलवे स्टेशनों को भी इस योजना में शामिल किया जायेगा.
इन दोनों स्टेशनों पर सीसीटीवी निगरानी, रिकॉर्डिंग प्रणाली निजी कंपनी के हाथ होगी। इसी तरह बैगेज स्कैनर भी निजी हाथों में होगा, जिसके लिए निजी कंपनी द्वारा अपने स्तर पर व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी। इसके अलावा दो जोन और मंडल में अधिकारियों का दखल इन दोनों स्टेशनों पर सीमित हो जाएगा। यहां तक कि टेंडरों की सभी शक्तियां भी रेल लैंड डेवलेपमेंट अथारिटी (आरएलडीए) ही करेगी। सुरक्षा सहित तमाम टेंडरों के लिए प्राइवेट कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे।
रेलवे बोर्ड ने बनाई पॉलिसी
रेलवे बोर्ड ने इसको लेकर पालिसी बना दी है, जबकि इसे धरातल पर उतारने की तैयारी है। अंबाला रेल मंडल के अधीन चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के डेवलेपमेंट पर 512 करोड़ रुपये खर्च हो रहा है। कार्य पूरा होने के बाद यह स्टेशन आरएलडीए के हवाले कर दिया जाएगा, जबकि मौजूदा समय तके अंबाला मंडल के अधीन सारा कार्य होता है। ट्रेन का संचालन और रेल कर्मियों की तैनाती पहले की ही तरह मंडल और जोन स्तर पर ही होगी।
अरबों रुपयों के टेंडर अब मंडल और जोन से छीने जाएंगे
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन नगर हो या फिर गोमतीनगर स्टेशन पर अरबों रुपये के टेंडर होते हैं। मंडल का इलेक्ट्रिकल विंग एस्केलेटर, लिफ्ट, एयर कंडीशन, लाइटिंग, ट्रेन के डिसप्ले बोर्ड, यात्री सुविधाओं के डिसप्ले बोर्ड आदि के टेंडर मंडल स्तर पर ही होते थे। अब इनके टेंडर आरएलडीए करेगा। इसके अलावा इंजीनियरिंग, सिग्नल विभाग के अधिकारियों के अधीन स्टेशन पर टाइलें, निर्माण कार्य भी आरएलडीए के हवाले किए जाएंगे। इसी तरह ऑपरेटिंग विभाग के जिम्मे पार्किंग, कैटरिंग, सफाई जैसे तमाम कार्य थे जिनका मंडल स्तर से अधिकार वापस ले लिया जाएगा। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की भी स्टेशन पर तैनाती होगी। अपराध पर एफआइआर दोनों एजेंसियां पहले की तरह दर्ज करेंगी।
9 साल के लिए आरएलडीए के हवाले होंगे स्टेशन
रेलवे बोर्ड के सूत्रों की मानें, तो अभी तक नौ साल तक आरएलडीए के हवाले चंडीगढ़ और गोमतीनगर स्टेशन करने का निर्णय लिया है। कार्यकाल तीन साल और बढ़ाया भी जा सकता है यानी कि मंडल और जोन से बारह साल तक दखल खत्म हो जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट में भले ही दो स्टेशन हैं, लेकिन आने वाले समय में देश के और स्टेशनों को भी शामिल किया जाएगा। चंडीगढ़ और गोमतीनगर की तर्ज पर कई स्टेशनों पर डेवलेपमेंट कार्य चल रहे हैं।
यह रहेगा रेलवे के अधीन
ट्रेनों का संचालन मंडल और जोन स्तर पर पहले की तरह होगा। पालिसी में स्पष्ट कर दिया गया है कि मंडल स्तर पर ही कर्मचारियों की तैनाती होगी। पार्सल, ढुलाई, ओएचई तार, टिकटों की बिक्री, आरक्षण केंद्र, टिकट वापसी, ट्रेनों में खानपान, मरम्मत, रखरखाव, ट्रेनों में पानी भरने, लोको ईंधन भरना आदि कार्य पहले की तरह रेलवे के अधीन ही रहेंगे।
एयरपोर्ट की तर्ज पर सुविधाएं उद्घोषणा भी नये अंदाज में होगी
आरएलडीए यात्रियों की सुविधाएं और रखरखाव पर फोकस करेगा। यात्रियों को एयरपोर्ट की तर्ज पर सुविधाएं दी जाएंगी। इन स्टेशनों पर फूड प्लाजा, माल जैसी सुविधा होंगी। खाने के दाम क्या होंगे, इसका टेंडर होने के बाद पता चलेगा। इसी तरह उद्घोषणा भी नए अंदाज में नजर आएगी। सफाई, सुरक्षा बेहतर हो, इसके लिए कंपनियों को टेंडर दिए जाएंगे, जबकि पार्किंग में भी बदलाव किया जा सकता है।