रीवा में जन्मा बच्चा हार्लेक्विन इक्थियोसिस बीमारी से पीडि़त, त्वचा पर मोटी परत, शरीर में जगह-जगह पडऩे लगती है दरारें


          रीवा। रीवा के गांधी स्मारक चिकित्सालय के स्पेशल न्यू बोर्न बेबी केयर यूनिट में एक नवजात शिशु चर्चा का विषय है। यह सामान्य बच्चों से अलग है। अभी नवजात शिशु को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण ऑक्सीजन पर रखा गया है जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।

                                           खबर है कि त्योंथर तहसील क्षेत्र अंतर्गत ढकरा सोंनौरी गांव की निवासी शांति देवी पटेल की बहु प्रियंका पटेल को प्रसव पीड़ा हुई। जिसके बाद उसे देर रात चाकघाट स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। सुबह बहु की नॉर्मल डिलेवरी हुई डिलेवरी के बाद मां स्वास्थ्य थी लेकिन बच्चा असमान्य था। डॉक्टरों ने नवजात की हालत को गंभीर देखते हुए उसे रीवा गांधी मेमोरियल अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। गांधी मेमोरियल अस्पताल के आईसीयू वॉर्ड में रखा गया है। शांति पटेल का कहना था कि उन्हें बच्चा बिना आंख नाक वाला लगा। उन्हें नहीं पता कि यह कौन सी बीमारी है। भर्ती होने के लिए बोला गया इसलिए आ गया। वहीं डाक्टरों का कहना है कि बच्चे को जो बीमारी है मेडिकल भाषा में उसे हार्लेक्विन इक्थियोसिस बोला जाता है। इसमें शरीर की त्वचा मोटी हो जाती है और उसमें जगह-जगह से दरारें पडऩे लगती है। त्वचा में दरारें पडऩे के कारण बच्चों के शरीर में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। जिसे रोकने के लिए डर्मेटोलॉजिस्ट की टीम स्किन केयर संबंधी उपचार करती है। यह बीमारी जेनेटिक और नॉन जेनेटिक दोनों ही माध्यम से नवजात को हो सकती है। पीडियाट्रिक और डर्मेटोलॉजिस्ट विभाग के विशेषज्ञ इस तरह की बीमारी से ग्रसित नवजात का उपचार करते हैं। बच्चों की त्वचा बहुत नरम और सेंसिटिव होती है। इसका विशेष ध्यान रखते हुए इनका उपचार किया जाता है। कभी.कभी समय पर सही उपचार न मिल पाने के कारण किस तरह की बीमारियां जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।


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