खबर है कि यस बैंक से लिए 3000 करोड़ रुपए के लोन धोखाधड़ी मामले में की गई ये रेड दिल्ली व मुंबई में चल रही है। ये छापेमारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 17 के तहत की गई है। ये कार्रवाई CBI की ओर से दर्ज दो एफआईआरऔर सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा व नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) जैसी एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर की गई है। मामला 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी से जुड़े रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को दिए गए करीब 3000 करोड़ रुपए के लोन से जुड़ा है। ED की शुरुआती जांच में पता चला है कि इन लोन्स को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों और ग्रुप की अन्य इकाइयों में डायवर्ट किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि यस बैंक के बड़े अधिकारियों को शायद रिश्वत दी गई है। ये एक सोचा-समझा व सुनियोजित प्लान था जिसके तहत बैंकों, शेयर होल्डर्स, निवेशकों व अन्य सार्वजनिक संस्थानों को गलत जानकारी देकर पैसे हड़पे गए। जांच में कई गड़बडिय़ां पकड़ी गई है जैसे कमजोर या बिना वेरिफिकेशन वाली कंपनियों को लोन। कई कंपनियों में एक ही डायरेक्टर व एड्रेस का इस्तेमाल। लोन से जुड़े जरूरी दस्तावेजों का न होना, फर्जी कंपनियों में पैसे ट्रांसफर करना, पुराने लोन चुकाने के लिए नए लोन देने की प्रक्रिया (लोन एवरग्रीनिंग) है। अधिकारियों का कहना है कि नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी व बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ED के साथ जानकारी साझा की। अब ईडी इस मामले की जांच कर रही है।