अदालत ने खारिज की पश्चिम मध्य रेल की आपत्ति


सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल से आग्रह - एक पद खाली रखना होगा

जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल की खंडपीठ ने पश्चिम मध्य रेलवे की आपत्ति खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को पूर्व में दिए गए अंतरिम-संरक्षण को जारी रखते हुए केंद्रीय प्राधिकरण से आग्रह किया है कि वो तीन माह के भीतर मामले में अंतिम निर्णय कर लें। आवेदक कोटा निवासी बृजमोहन रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा में शामिल हुआ था, जिसमें योग्यता दसवीं कक्षा या आईटीआई करना आवश्यक था। आवेदक ने 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी और आईटीआई कर रहा था। इसके साथ-साथ उसने लिखित और इंटरव्यू भी पास कर लिए थे, लेकिन जब रेलवे ने कागजातों की जांच की तो ये पाया कि वो अभी आईटीआई कर रहा है, जिसके आधार पर उसकी नियुक्ति रद्द कर दी। रेलवे के आदेश के खिलाफ जबलपुर में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की गई थी, लेकिन ट्रिब्यूनल ने इसे अस्वीकार कर दिया। ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ आवेदक ने जबलपुर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। आवेदक की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता निखिल भट्ट ने तर्क प्रस्तुत करते हुए बताया कि आवेदन पत्र में हुई त्रुटि ऐसी थी, जिसका पात्रता मापदंडों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, इस तर्क को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायपूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ ने आवेदक को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था। इसके खिलाफ पश्चिम मध्य रेलवे ने आपत्ति दर्ज करते हुए अंतिम संरक्षण को खारिज करने की मांग की परन्तु आवेदक के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए खंडपीठ ने रेलवे की आपत्ति को खारिज करते हुए आवेदक को पूर्व में दिए गए अंतरिम संरक्षण को जारी रखते हुए सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल से आग्रह किया कि वो इस मामले में आगामी तीन महीने में अंतिम निर्णय ले ले और तब तक रेलवे एक पद खाली रखे।

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