प्रदेश की 70, जिले की 34 किस्में शामिल
इस फेस्टिवल में मध्य प्रदेश की विभिन्न सरकारी नर्सरियों के साथ किसानों द्वारा यहां 70 से अधिक आम की किस्म शामिल की गई है। इसमें से 34 से अधिक आम की किस्म नर्मदापुरम जिले की है।
प्रमुख आम :
फेस्टिवल में आम सिंदूरी, जम्बो केसर, सुंदरजा, कृष्ण भोग, लंगड़ा, गजरिया, मालदा, आम्रपाली, दशहरी, चौसा, तोता परी, फजली, बंगाल पाली, तुर्रापर, शुकर गुठली, मिश्री, हापुस, स्वर्णप्रभा, काला पहाड़, हिमसागर, स्वर्णरेखा, रत्ना, केसर, रुक्मणी, साबनिया, नीलम, सिंधु, जहांगीर, प्यारी, रॉयल मिस्री, जर्दालू, सेंसेशन, रस भंडार और राम केला की किस्में हैं।
ये होता है सिंदूरी आम
सिंदूरी आम को रसालू, पेद्दा रसालू और चपता रसालू जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। यह देर से पकने वाली आम की किस्म है, जिसे आमतौर पर मई के अंत से लेकर जुलाई की शुरुआत तक तोड़ा जाता है। इस आम का गूदा रसदार, कोमल और हल्का खट्टापन के साथ मीठे स्वाद वाला होता है। इसका इस्तेमाल अक्सर आम की चटनी, अचार और करी बनाने में किया जाता है। इस रसीले सुगंधित आम की पैदावार पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक होती है। पचमढ़ी सहित आसपास में कई स्थानों पर बड़ी संख्या में सिंदूरी आम होता है। भारत में इसकी खेती आंध्र प्रदेश के दक्षिणी राज्य और गुजरात में की जाती है। आमतौर पर अप्रैल से जून तक बाजारों में उपलब्ध होता है। इस आम का इस्तेमाल स्मूदी और अन्य आम.आधारित डेसर्ट बनाने में किया जाता है।