एमपी को अरुणाचल के लोअर दिबांग वैली बहुउद्देश्यीय जल विद्युत परियोजना से मिलेगी बिजली

 


CM डा. मोहन यादव की उपस्थिति में 252 मेगावाट विद्युत क्रय अनुबंध हुआ हस्ताक्षरित

जबलपुर. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में मुख्यमंत्री निवास के समत्व भवन में शुक्रवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आवंटित 252 मेगावाट विद्युत क्रय अनुबंध पर एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी (एमपीपीसीएल) और एनएचपीसी के मध्य हस्ताक्षर हुए व एमओयू का आदान-प्रदान किया गया। 

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नीरज मंडलोई, एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक अविनाश लवानिया व एनएचडीसी के प्रबंध संचालक राजीव जैन उपस्थित थे। वि़द्युत क्रय अनुबंध (पीपीए) पर एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक राकेश ठुकराल और एनएचपीसी के महाप्रबंधक ओंकार यादव ने हस्ताक्षर किए। अनुबंध के आधार पर एनएचपीसी की अरुणाचल प्रदेश के लोअर दिबांग वैली जिले में स्थित बहुउद्देशीय जलविद्युत परियोजना से मध्यप्रदेश को केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आवंटित 252 मेगावाट विद्युत मिलेगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अनुबंध को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भविष्य की मांग को देखते हुए पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के अलावा विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से भी विद्युत क्रय अनुबंध आवश्यक हैं। मध्यप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है। मध्यप्रदेश में घरेलू और औद्योगिक आवश्यकताओं के साथ ही कृषि क्षेत्र में बिजली की खपत निरंतर बढ़ रही है। ऐसे में भविष्य की जरूरत का आंकलन भी किया जा रहा है। इस नाते आने वाले वर्षों में विद्युत की मांग में वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए अरुणाचल प्रदेश से विद्युत क्रय करने का निर्णय लिया गया।

 मध्यप्रदेश को सरप्लस राज्य बनाने का लक्ष्य-प्रदेश के विकास में योगदान देने व मध्यप्रदेश को ऊर्जा सरप्लस (ऊर्जा की अधिकता वाला) राज्य बनाने हेतु और मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा समय-समय पर तय की गई नवीकरणीय ऊर्जा क्रय आबंधनों के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु एमपीपीएमसीएल द्वारा भविष्य की मांग को दृष्टिगत रखते हुए पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के अतिरिक्त विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से भी विद्युत क्रय अनुबंध निष्?पादित किए जाते रहे हैं।

लगातार बढ़ती विद्युत मांग-मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य होने के साथ-साथ राज्?य के घरेलू, औद्योगिक एवं कृषि क्षेत्रों में विद्युत खपत में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। वर्तमान विद्युत मांग की वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए यह आंकलन किया जा रहा है कि चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक मांग 20,000 मेगावाट हो सकती है तथा इस मांग में आने वाले वर्षों में लगातार बढ़ोत्तरी भी होगी।

कहां स्थित है 

बहुउद्देश्यीय जल विद्युत परियोजना-यह अरुणाचल प्रदेश में दिबांग नदी पर विकसित की जा रही एक बड़ी बहुउद्देश्यीय जलविद्युत परियोजना है। इस परियोजना का निर्माण कार्य प्रगति पर है और इसके वित्तीय वर्ष 2031-32 तक पूर्ण होकर चालू होने की संभावना है।

परियोजना की प्रमुख विशेषताएं

दिबांग बहुउद्देश्यीय जल विद्युत परियोजना वित्तीय वर्ष 2031-32 में क्रियाशील होगी। इसका क्षमता उपयोग कारक 44 प्रतिशत है। मध्यप्रदेश को आवंटित 252 मेगावाट क्षमता के विरूद्ध ऊर्जा 982 मिलियन यूनिट है। इसकी संभावित प्रति यूनिट लागत रूपए 4.46 केडबलूएच है।  

इस अनुबंध से मध्यप्रदेश को क्या मिलेगा लाभ

इस परियोजना से प्राप्त विद्युत रबी के महीनों में अधिकतम मांग  की अवधि के दौरान 3 घंटे से अधिक और वर्ष के शेष समय में लगभग 9 से 19 घंटे तक की मांग को पूरा करने में सहायता करेगी। एमपीपीसीएल और एनएचपीसी के विद्युत क्रय अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के अवसर पर एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के अतिरिक्त मुख्य महाप्रबंधक डॉ. गुरदीप खनूजा, अतिरिक्त मुख्य महाप्रबंधक धीरज मुनिया, एनएचडीसी के महाप्रबंधक नरेश कुमार चेलानी, एनएचपीसी के उप महाप्रबंधक दुष्यंत कुमार, एनएचडीसी के उप महाप्रबंधक मुकेश नेगी व एमपीपीसीएल के मैनेजर विकास मीरचंदानी उपस्थित थे।

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