306 किलोमीटर में चार टोल प्लाजा, कही भी नहीं बुनियादी सुविधाएं
जबलपुर। लखनादौन से रीवा तक की सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले यात्रियों को राष्ट्रीय राजमार्ग एनएचएआई पर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 306 किलोमीटर के इस मार्ग में चार टोल प्लाजा पड़ते हैं, इनमे उडेसी लखनादौन] बहोरीपार्क बरगी] मोहतरा सिहोरा और खेरवासानी मैहर से हर दिन करोड़ों रुपये की टोल वसूली होती है, लेकिन इन जगहों पर यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी जा रही हैं। अब जब एनएचएआई ने इन टोल प्लाजा का अपने हैंडओवर ले लिया है तो जिम्मेदार व्यवस्थाएं दुरुस्त करने का दावा कर रहे हैं। लेकिन सवाल तब भी उठता है कि जब प्राइवेट कंपनी इन टोलो का संचालन कर रही थीं तब अधिकारी क्या कर रहे थे?
न सार्वजनिक शौचालय, न पेयजल व्यवस्था
लखनादौन-रीवा मार्ग पर सफर करने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या शौचालय और स्वच्छ पेयजल की अनुपलब्धता है। आमतौर पर टोल नाकों पर यात्रियों की सुविधा के लिए ये बुनियादी सुविधाएं दी जाती हैं, लेकिन इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऐसा नहीं हो रहा है। खासतौर पर महिलाओंए बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह स्थिति बेहद असुविधाजनक है। इसके अलावा आपातकालीन स्थिति में यात्रियों के लिए विश्रामगृह की भी सुविधा नहीं है। लिहाजा, सड़क मार्ग से सफर करने वालों को होटलों और ढाबों में निर्भर रहना पड़ता है। जहां उन्हें ये मूलभूत सुविधाएं नि:शुल्क नहीं मिलती।
तीन साल से अटका निर्माण कार्य
जानकारों के मुताबिक वर्ष 2022 में भोपाल की एक कंपनी को चारों टोल प्लाजा के दोनों तरफ शौचालय और पेयजल की सुविधा देने का ठेका दिया गया था। शुरू में थोड़ा बहुत काम हुआए लेकिन कुछ ही दिनों में ठेकेदार ने काम बंद कर दिया और यह योजना अधूरी रह गई।
मोहतरा टोल बैरियर से गुजरते हैं 11 हजार वाहन
306 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग में बने टोलों की स्थिति जानने का प्रयास किया तो सामने आया कि सिहोरा के समीप मोहतरा टोल प्लाजा से ही रोजाना करीब 11 हजार छोटे.बड़े वाहन गुजरते हैं। इन वाहनों से करीब रोजाना 26.27 लाख रुपये की टोल वसूली होती है। यहीं स्थिति बहोरीपार्क यानी बरगी टोल प्लाजा की भी है जो नागपुर मार्ग पर है। चौकाने वाली बात यह है कि इसके बाद भी नेशनल हाईवे पर चलने वालों को सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।
एनएचएआई ने लिया हैंडओवर
3 महीने पहले ही एनएचएआई ने इन सभी टोल प्लाजा का संचालन अपने हाथ में ले लिया है। इससे पहले इनका संचालन एक निजी कंपनी कर रही थी। अब एनएचएआई अव्यवस्थाओं को सुधारने की बात कह रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब टोल का संचालन निजी कंपनी कर रही थी, तब एनएचएआई के जिम्मेदार अधिकारी कहां थे? उस वक्त इन सुविधाओं को जुटाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया?
टोल प्लाजा के आसपास अंधेरा
एनएचएआई के नियमों के तहतए टोल प्लाजा के दोनों ओर कम से कम 1 किलोमीटर तक पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन हकीकत यह है कि बिजली के बिल बचने के लिए टोल प्लाजा के आसपास के क्षेत्र को अंधेरे में रखा जाता है। ऐसे में बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जरुरत के समय टोल के आसपाल वाहनों को रोकने पर रात के समय लूटपाट का खतरा बना रहता है। इसके अलावा कुछ ऐसे भी प्वाइंट हैं जो सीधे तौर पर गांव से कनेक्ट है, लेकिन उन जगहों पर अंधेरे की वजह से दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है।
आपातकालीन सेवा नंबर कर रहे भ्रमित
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा हाईवे पर आपातकालीन संपर्क नंबर 1033 जारी किया गया है। लेकिन लखनादौन-रीवा मार्ग पर टोल प्लाजा का संचालन करने वाली पूर्व एजेंसी का नंबर जगह.जगह दर्शाया गया है] जिसे अलग नहीं किए जाने से अनजान लोग आवश्यकता के दौरान परेशानी का सामना करने मजबूर हैं। इसके अलावा लोगों का यह भी अनुभव रहा है कि सेंट्रलाइज सिस्टम हो जाने के बाद भी टोल फ्री नंबर पर आसानी से कॉल नहीं लगता।
लोगों का यह है कहना
नागपुर से मैहर जा रहे सौरभ गुप्ता का कहना है कि जब हर टोल नाके पर पूरी टोल राशि ली जा रही है, तो फिर बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं दी जा रही हैं? वहीं, रीवा से जबलपुर आ रहे नितिन यादव ने बताया कि वे अक्सर से सड़क मार्ग से आना-जाना करते हैं। उनके परिवार में एक सदस्य विकलांग है। ऐसे में आवश्यकता पड़ने पर उन्हे परेशानी का सामना करना पड़ता है।