नई दिल्ली. रेलवे बोर्ड ने गरीब रथ के पुराने आईसीएफ कोचों को संरक्षा कारणों से हटाने और उनके स्थान पर एलएचबी एसी कोच लगाने का आदेश दिया। गरीब रथ की शुरुआत 2006 में सस्ती वातानुकूलित यात्रा के लिए हुई थी। रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की कमी से मरम्मत में दिक्कतें आ रही थीं। रेलवे बोर्ड ने सभी जोनों के महाप्रबंधकों को इस संबंध में आदेशित किया है.
साल 2006 में रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने फुल एसी गरीब रथ एक्सप्रेस चलाकर किराया कम और सीटें अधिक देते हुए इसकी शुरुआत की थी। अब संरक्षा की दृष्टि से ट्रेन के कोचों रेलवे से बाहर किया जा रहा है। इनके स्थान पर लिंक हाफमैन बाश (एलचीबी) एसी कोच लगाए जाएंगे। इलेक्ट्रिकल और मकैनिकल हिस्से की मरम्मत और अन्य कारणों का हवाला देते हुए रेलवे बोर्ड ने सभी महाप्रबंधकों को आदेश जारी किए।
यह कोच इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में बनाए गए थे, जिनका उत्पादन बंद किया जा चुका है। गरीब रथ के कोच न बनने से एलएचबी कोच नए बनाने का लक्ष्य भी अधिक कर दिया गया है। सिर्फ आइसीएफ कोच फैक्ट्री में चार हजार कोच बनाने का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में रखा गया है। खास बात यह है कि लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में 72 सीटों की जगह 80 सीटें की गई थीं।
एलएचबी कोच में एसी इकानमी कोच में भी 80 सीटें ही हैं। यानी कि सीटों की संख्या पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह भी माना जा रहा है कि गरीब रथ एक्सप्रेस अभी एयरकंडीशंड चल रही है। भविष्य में जरूरत महसूस करते हुए इसमें स्लीपर और दूसरे कोच भी लगाए जा सकते हैं। हालांकि रेलवे बोर्ड की ओर से जारी आदेशों में अभी स्लीपर कोच का जिक्र नहीं किया गया है।
आ रही रखरखाव में दिक्कत
जोनल रेलवे ने कई बार गरीब रथ की मेंटेनेंस आदि को लेकर शिकायतें भेजीं। इसमें बताया कि गरीब रथ ट्रेन के कोच की इलेक्ट्रिकल और मकैनिकल हिस्से की देखभाल करने में दिक्कतें हैं। इस ट्रेन के स्पेयर पार्ट्स भी मिलने में परेशानियां आ रहीं थीं। जो भी कंपनी स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध करवाती है, वहां से सप्लाई पूरी नहीं मिल रही।
इसी कारण से इनकी मरम्मत व देखरेख में परेशानियां आ रही हैं। इसी को देखते हुए चेन्नई की आइसीएफ कोच फैक्ट्री ने दो साल पहले ही नए कोच बनाने बंद कर दिए। संरक्षा के हिसाब से भी एलएचबी कोच पर भरोसा रेलवे का एलएचबी कोच पर भरोसा है। अधिकारियों का मानना है कि कोई घटना न हो इसके लिए सुरक्षा प्राथमिक है। लेकिन फिर भी एलएचबी कोच हादसा होने के बाद यह ट्रेन एक दूसरे डिब्बे पर नहीं चढ़ते।