मृत्यु पूर्व बयान विश्वसनीय फिर भी जरूरी नहीं कि आरोप सच हों, हाईकोर्ट

फूफा के हत्या मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाला भतीजा दोषमुक्त

जबलपुर। फूफा की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किये जाने को चुनौती देने के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल व जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने कहा- मृत्यु पूर्व बयान विश्वसनीय होने पर दोषसिद्धि को कायम नहीं रखा जा सकता। युगलपीठ ने इस आदेश के साथ ट्रायल कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।

मृत्यु पूर्व डॉक्टर को अलग बयान

नरेन्द्र उर्फ बंटी की तरफ से दायर की गयी अपील में कहा गया था कि उसकी बुआ का विवाह धर्मराज के साथ हुआ था। विवाह के बाद से फूफा अपनी ससुराल में रहते थे। फूफा को 8 जनवरी 2017 को जलने के कारण कुर्राई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया था। फूफा ने डॉक्टर को अपने बयान में बताया था कि चिमनी गिरने के कारण वह जल गया। हालत गंभीर होने के कारण उसे सिवनी अस्पताल रेफर किया गया था।

फिर बयान पलटा

कार्यपालक मजिस्ट्रेट ने 2 दिन बाद 10 जनवरी को उनके मृत्युपूर्व बयान दर्ज किये थे, जिसमें कहा था नरेन्द्र उर्फ बंटी ने मिट्टी का तेल डालकर उसे जलाया है। नरेन्द्र की तरफ से बताया गया फूफा द्वारा अलग-अलग 3 मौखिक बयान मृत्युपूर्व दिये गये थे। मृतक की पत्नी ने न्यायालय में स्वीकार किया था कि पति ने चिमनी से जलने की बात कही थी। इसके अलावा मृतक के पिता भी ट्रायल कोर्ट में पक्ष विरोधी घोषित हो गये थे।

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है व्यक्ति द्वारा अलग-अलग बयान मृत्युपूर्व दिये गये। इसके अलावा कार्यपालक मजिस्ट्रेट ने 2 दिन बाद उसके बयान दर्ज किये थे। इस दौरान उसके ब्रेन वॉश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। मृत्युपूर्व बयान विश्वसनीय होने पर भी दोषसिद्धि को कायम नहीं रखा जा सकता है। युगलपीठ ने सजा के आदेश को निरस्त करते हुए आरोपी को रिहा करने के आदेश जारी किए।

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