अंबाला। भारतीय रेलवे में वंदे भारत एक्सप्रेस यात्रियों की पहली पसंद बनती जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए रेलवे मंत्रालय ने 200 नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण की योजना बनाई है, जो स्लीपर क्लास की होंगी। अब तक ये ट्रेनें केवल एसी चेयरकार में उपलब्ध थीं, लेकिन यात्रियों की बढ़ती मांग को देखते हुए इन्हें स्लीपर क्लास में भी तैयार किया जा रहा है।
रेलवे बोर्ड का बड़ा लक्ष्य
रेलवे बोर्ड ने विभिन्न कोच फैक्ट्रियों में 200 नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का लक्ष्य तय किया है। पहली वंदे भारत ट्रेन चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में तैयार की गई थी, इसलिए यहां 50 नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण की योजना है।
नए वंदे भारत ट्रेनों की प्रमुख विशेषताएँ:
लंबी दूरी की यात्रा के लिए उपयुक्त डिजाइन
बेहतर खानपान सुविधा के लिए पैंट्री कार
आधुनिक तकनीक और आरामदायक इंटीरियर
उन्नत सेफ्टी फीचर्स और ऊर्जा दक्षता
16 से 24 कोच वाले विभिन्न रैक विकल्प
एक डिब्बे की अनुमानित लागत 7.70 करोड़ रुपये रखी गई है। मौजूदा वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। माना जा रहा है कि भविष्य में रेलवे अन्य ट्रेनों को भी वंदे भारत से प्रतिस्थापित कर सकता है।
बजट और निवेश
रेलवे को आम बजट में 2.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इस बजट के तहत:
200 नई वंदे भारत ट्रेनों को आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित किया जाएगा।
100 अमृत भारत ट्रेनें और 50 नमो भारत रैपिड रेल तैयार होंगी।
17,500 जनरल नॉन-एसी कोच जोड़े जाएंगे।
1,400 नए कोचों का निर्माण होगा।
वर्ष 2025-26 में 2,000 सामान्य कोचों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
दो कंपनियों को मिला टेंडर
नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे, जिसमें दो कंपनियों को अनुबंध दिया गया है। रूस की सीजेएससी ट्रांसमाशहोल्डिंग और रेल विकास निगम लिमिटेड (टीएमएच-आरवीएनएल) ने सबसे कम बोली लगाकर यह टेंडर हासिल किया है। तीसरे स्थान पर भेल-टीटागढ़ वैनग कंसोर्टियम रहा।
कोच निर्माण और मेंटेनेंस
नई वंदे भारत ट्रेनों के कोचों का निर्माण लातूर (महाराष्ट्र) और चेन्नई (आईसीएफ) की फैक्ट्रियों में किया जाएगा।
सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी को रखरखाव (मेंटेनेंस) और अन्य सेवाओं की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी। यह योजना भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और यात्री अनुभव को और बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।