जबलपुर। रेल हादसे में बेटे की मौत के बाद माता-पिता को मिले मुआवजे का उपयोग दूसरे बेटे की शादी में करने पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि यह मुआवजा जीवन-यापन और सुरक्षा के लिए दिया गया था, न कि सामाजिक समारोहों में पानी की तरह बहाने के लिए। यह मामला सागर जिले के सुजान सिंह और उनकी पत्नी राधा बाई से जुड़ा है, जिन्होंने अपने मृत बेटे नीरज के मुआवजे के 8 लाख रुपये में से 6 लाख रुपये अपने दूसरे बेटे की शादी में खर्च कर दिए। जस्टिस विवेक रंजन की एकलपीठ ने इस पर सख्त टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा,ये बहुत खराब उदाहरण है
रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल ने 2021 में मृतक के माता-पिता को 8 लाख रुपये मुआवजे के रूप में देने के निर्देश दिए थे। मुआवजे की इस राशि में से बचे हुए 2 लाख रुपये निकालने की अनुमति के लिए दंपति ने ट्रिब्यूनल में आवेदन दिया, जिसे खारिज कर दिया गया। बाद में मामला हाईकोर्ट पहुंचा। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी सुविधा के लिए 6 लाख रुपये खर्च कर दिए, जबकि केवल 2 लाख रुपये राधा बाई के नाम पर बचे हैं। अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि एक बेटे की मौत पर मिले मुआवजे की राशि दूसरे बेटे की शादी में उड़ाना सबसे खराब उदाहरण है। यह स्पष्ट रूप से वित्तीय अपरिपक्वता और मुआवजे की रकम की फिजूलखर्ची का मामला है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मुआवजा मृतक के परिवार की सुरक्षा और भरण-पोषण के लिए दिया जाता है, इसलिए बचे हुए 2 लाख रुपये निकालने की अनुमति देना उचित नहीं होगा।
