जबलपुर। शहर में नालों के गंदे पानी से सब्ज़ियाँ उगाए जाने के सनसनीखेज खुलासे पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आज फिर सुनवाई की। यह मामला उस समय सामने आया था जब नगर निगम ने कई स्थानों पर छापेमारी कर पाया कि बड़ी मात्रा में हरी सब्ज़ियाँ बिना ट्रीटमेंट वाले सीवेज पानी से उगाई जा रही हैं। हाईकोर्ट ने मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है। सुनवाई के दौरान अदालत मित्र रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा पेश रिपोर्ट ने कोर्ट को चौंका दिया। जानकारी के अनुसार जबलपुर में प्रतिदिन लगभग 174 एमएलडी गंदा पानी नालों के माध्यम से बह रहा है, जबकि नगर निगम के पास कुल 154 एमएलडी क्षमता के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट मौजूद हैं। इसके बावजूद केवल 58 एमएलडी पानी का ही ट्रीटमेंट किया जा रहा है।
-क्या हैं एनजीटी के निर्देश
एनजीटी के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद गंदे पानी के ट्रीटमेंट की स्थिति बेहद खराब है। कोर्ट में बताया गया कि अवैध रूप से कई किसानों द्वारा इस गन्दे पानी से सब्जियाँ उगाई जा रही थीं, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। निगम ने कुछ जगह छापे मारकर कार्यवाही की थी, लेकिन सिस्टमेटिक सुधार अभी नहीं दिख रहा। हाईकोर्ट ने नगर निगम से पूछा कि इतनी क्षमता होने के बावजूद ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन पूरी क्षमता से क्यों नहीं किया जा रहा। अदालत ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई 18 दिसंबर से पहले नगर निगम एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करे, जिसमें अब तक की गई कार्रवाई, ट्रीटमेंट क्षमता, सुधार की योजना और सब्ज़ी उत्पादन पर प्रतिबंध संबंधी कदमों का पूरा ब्यौरा शामिल हो। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा होने के कारण किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी। अब अगली सुनवाई पर यह स्पष्ट होगा कि निगम ने गंदे पानी से सब्ज़ियों की खेती रोकने और ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने के मामले में क्या ठोस कदम उठाए हैं।
