
नई दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी-जी राम जी विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा की जगह अब नया 'जी राम जीÓ कानून प्रभाव में आ गया है. सरकार के अनुसार यह बदलाव ग्रामीण भारत में रोजगार, आजीविका और आय सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है.
यह विधेयक संसद में गुरुवार को विपक्ष के कड़े विरोध के बीच पारित हुआ. विपक्षी दलों ने मनरेगा का नाम हटाने और महात्मा गांधी का उल्लेख न होने को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला. हालांकि सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि नए कानून का उद्देश्य योजनाओं को ज्यादा प्रभावी और परिणामोन्मुखी बनाना है.
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बापू के आदर्शों की हत्या की, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने उन आदर्शों को जमीन पर उतारने का काम किया है. चौहान ने कहा कि कांग्रेस नीत सरकार ने मनरेगा को पूरी ताकत के साथ लागू नहीं किया, जबकि मोदी सरकार ने इसे प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया.
आंकड़ों की तुलना
केंद्रीय मंत्री ने यूपीए और एनडीए सरकारों के दौरान योजना के क्रियान्वयन की तुलना भी पेश की. उनके अनुसार कांग्रेस के शासनकाल में जहां 1660 करोड़ श्रम दिवस सृजित हुए थे, वहीं मोदी सरकार के समय यह आंकड़ा बढ़कर 3210 करोड़ श्रम दिवस तक पहुंच गया. उन्होंने यह भी कहा कि पहले महिलाओं की भागीदारी 48 प्रतिशत थी, जो मौजूदा सरकार के दौरान बढ़कर 56.73 प्रतिशत हो गई है. चौहान ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने गांधी का नाम राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया.
क्या है जी राम जी कानून
जी राम जी कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 विजन से जुड़ा हुआ है. इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाना, आजीविका के साधनों को मजबूत करना और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देना है. नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों के लिए सालाना मजदूरी रोजगार गारंटी को 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का लक्ष्य
इस कानून में स्थानीय नियोजन को प्राथमिकता, श्रमिकों की सुरक्षा, और विभिन्न सरकारी योजनाओं के एकीकरण पर विशेष जोर दिया गया है. सरकार का कहना है कि इससे ग्रामीण आय सुरक्षा मजबूत होगी और कृषि तथा गैर कृषि रोजगार के बीच संतुलन स्थापित होगा. साथ ही पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा.