जमानत न मिलने पर भी हिरासत हो सकती है वैध,जबलपुर हाईकोर्ट की फुल बेंच का महत्वपूर्ण फैसला,आरोपी की 4 बार जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आदेश
जबलपुर।
जबलपुर हाईकोर्ट की तीन जजों की फुल बेंच ने एक अहम निर्णय देते हुए कहा है कि किसी भी आरोपी को जमानत न मिलने मात्र से हिरासत में रखना अवैध नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी या निरुद्ध करने का स्पष्ट आदेश न दिया हो। यह फैसला एक महिला की पुनर्विचार याचिका पर दिया गया है, जिसकी जमानत याचिकाएं चार बार खारिज हो चुकी थीं। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा, न्यायमूर्ति विनय सराफ और न्यायमूर्ति संदीप एन. भट की फुल बेंच ने स्पष्ट किया कि निचली अदालत का जमानत खारिज करना, आरोपी की अनिवार्य रूप से न्यायिक हिरासत का आधार नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि हिरासत तभी वैध मानी जाएगी जब उसके लिए विधिसम्मत आदेश जारी किया गया हो।
-क्या है मामला
यह मामला एक ऐसे प्रकरण से जुड़ा था जिसमें महिला पर गंभीर आरोप लगे थे और 12 जून 2024 से वह रिमांड पर थी। जमानत अस्वीकृत होने के बाद आरोपी ने तर्क दिया कि वह बिना वैध आदेश के अवैध रूप से बंद है। अदालत ने इस तर्क को सुनकर रिकॉर्ड तलब किए और विस्तृत सुनवाई के बाद महत्वपूर्ण निर्णय दिया।
क्या जमानत खारिज होने से हिरासत स्व-चालित हो जाती है?
- डिवीजन बेंच ने पूछा कि जमानत अर्जी खारिज होने के बाद क्या आरोपी स्वतः हिरासत में माना जाएगा?
- अदालत ने पाया कि ऐसी कोई कानूनी बाध्यता नहीं है।
- हिरासत तभी वैध, जब अदालत स्पष्ट आदेश दे।
क्या कहा फुल बेंच ने
- जमानत खारिज होना हिरासत का आधार नहीं
- बिना वैध आदेश के बंद रखना अवैध
- आरोपी के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा सर्वोपरि
- निचली अदालतों को निर्देश,हर मामले में विस्तृत आदेश ज़रूरी
