मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के बुरे हाल, कैंसर की जांच वाले मरीज सर्वाधिक प्रताड़ित, मेडिकल प्रबंधन की चुप्पी पर सवाल
जबलपुर। जिस जांच की रिपोर्ट बाहर तीन से चार दिन में दी जा रही है,ठीक वही रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में डेढ़ महीने से ज्यादा वक्त में मिल रही है। मरीजों का क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है,लेकिन मेडिकल का प्रबंधन खामोश है ये बड़ी चिंता है। दरअसल,मेडिकल में हिस्टोपैथोलॉजी (बायोप्सी ) की जांच निजी कंपनी को सौंप दी गयी है। कैंसर जांच की रिपोर्ट वक्त पर ना मिलने पर मरीज और उनके परिजन प्रताड़ित होते रहते हैं,लेकिन उनकी पीड़ा की फिक्र किसी को नहीं है। हिस्टोपैथोलॉजी बायोप्सी में शरीर से लिए गए ऊतक के नमूने(बायोप्सी ) की जांच की जाती है। इसमें कोशिकाओं में होने वाले असामान्य बदलावों को देखा जाता है। जो बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं। आमतौर पर कैंसर संदिग्ध मरीजों में यह जांच बीमारी का पता लगाने के लिए की जाती है।
-सोचा था आसानी होगी
2 वर्ष पूर्व मेडिकल कॉलेज में एचएसीएल कंपनी को लैब संचालन का ठेका दिया गया। तब सोचा गया था कि मेडिकल कॉलेज की सेंट्रल लैब से मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यहां सैकड़ों तरह की जांचें होती हैं,लेकिन वक्त पर किसी भी जांच की रिपोर्ट नहीं मिलती। मोबाइल पर रिपोर्ट पहुंचने का दावा भी फेल होता दिख रहा है, क्योंकि कई मरीजों को मोबाइल पर रिपोर्ट नहीं मिलती। दूर-दराज से आने वाले मरीज जैसे-तैसे सैंपल तो लैब में दे आते हैं, लेकिन रिपोर्ट आने तक मानसिक तनाव में भी रहते हैं। गरीब तबके के लोग निजी क्षेत्र में इस जांच का खर्च वहन नहीं कर पातेए ऐसे में वे मेडिकल कॉलेज पर ही निर्भर होते हैं।