प्रभारी मुख्य अभियंता की जाति की जांच कर तीन महीने के भीतर रिपोर्ट पर हो कार्यवाही - हाईकोर्ट


जबलपुर।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगल पीठ द्वारा 26 सितंबर, 2025 को समीक्षा याचिका संख्या 1360/2025 प्रशांत वैश्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य की सुनवाई को गई जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रीतिंकर दिवाकर और अधिवक्ता अंशुल तिवारी जबकि प्रतिवादी राज्य शासन की ओर से अधिवक्ता नितिन गुप्ता उपस्थित हुए। याचिकाकर्ता प्रशांत वैश्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दिवाकर ने तर्क दिया कि प्रभारी मुख्य अभियंता एससी वर्मा के विरूद्ध राष्ट्रीय आयोग के समक्ष रिट याचिका क्रमांक 16482/2016 के आदेश दिनांक 18/10/2016 में वर्णित लंबित मामले से सम्बंधित कोई भी मामला राष्ट्रीय आयोग के समक्ष लंबित नहीं है। उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति, याचिकाकर्ता की शिकायत प्राप्त होने पर, एससी वर्मा की जाति की वस्तुस्थिति की जाँच करेगी और तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और रिपोर्ट के आधार पर एस सी वर्मा के विरूद्ध उचित कदम उठाए जा सकते है। 

इस पर न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए कहा कि यदि राष्ट्रीय आयोग द्वारा कोई रोक नहीं लगाई गई है, तो उच्च स्तरीय जाति जांच समिति शिकायत प्राप्त होने पर प्रतिवादी एससी वर्मा की जाति की वस्तुस्थिति की जांच करेगी और तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और उस रिपोर्ट के आधार पर प्रतिवादी के विरूद्ध उचित कदम उठाए जाएंगे।

न्यायालय ने याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता भी प्रदान की कि यदि निजी प्रतिवादी की जाति की स्थिति उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति की जांच में विवादित पायी जाती है, तो याचिकाकर्ता उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति की रिपोर्ट की प्रति के साथ एक और समीक्षा याचिका दायर करके न्यायालय द्वारा लगाई कास्ट में छूट की मांग हेतु उच्च न्यायालय में फिर से आने के लिए स्वतंत्र होगा।

यह है मामला 

लोक निर्माण विभाग, जबलपुर में पदस्थ प्रभारी मुख्य अभियंता सुरेश चंद्र वर्मा के विरुद्ध इस आशय की शिकायतें प्राधिकृत अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की गई थी कि उनके द्वारा 19 जुलाई 1992 को लोक निर्माण विभाग में सहायक यंत्री सिविल का अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पद प्राप्त कर न केवल अवैध रूप से अनुविभागीय अधिकारी, कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री व मुख्य अभियंता पद पर पदोन्नति आदि लाभ प्राप्त किया बल्कि आय से अधिक संपत्ति भी अर्जित की गई परंतु आज दिनांक तक उन शिकायतों पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई और न ही सुरेश चंद्र वर्मा की जाति की जांच की गई जिस वजह से उसे धनगड़ अनुसूचित जनजाति का अवैध लाभ प्रदान किया जा रहा है।

पूर्व में एकल पीठ ने अपने आदेश  दिनांक 25/10/2024 में मुख्य सचिव, मध्य प्रदेश शासन को निर्देश देते हुए सुरेश चंद्र वर्मा के विरुद्ध याचिकाकर्ता की लंबित शिकायत को चार सप्ताह के अंदर निराकृत करने के आदेश दिए थे। बाद में रिव्यु में आदेश को बदलते हुए कोर्ट के द्वारा याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाते हुए नियुक्ति को चुनौती देने वाली और एस सी वर्मा के जाति प्रमाण पत्र की जाँच की माँग वाली रिट याचिका को 1 लाख रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया गया था। जिसकी अपील याचिका भी खारिज कर दी गई थी किन्तु अपील के रिव्यु आवेदन पर न्यायालय के द्वारा उक्त आशय के आदेश जारी किए गए।

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