नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने बुधवार 10 अगस्त को कहा कि एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) चुनने वाले कर्मचारी सेवानिवृत्ति से एक साल पहले या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से तीन महीने पहले राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में वापस आ सकते हैं। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सीसीएस नियम, 2025 जारी किए।
नए नियमों की अधिसूचना के साथ डॉ. जितेंद्र सिंह ने यूपीएस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों से संबंधित एक लघु फिल्म भी जारी की। इस फिल्म का उद्देश्य कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के समक्ष इस योजना के प्रमुख पहलुओं को स्पष्ट करना है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह अधिसूचना केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को व्यापक लचीलापन प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस के बीच अपना विकल्प चुनने के लिए दो सप्ताह का समय मिलेगा।
व्यापक जागरूकता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने एक व्यापक संपर्क अभियान की योजना बनाई है। इसमें सोशल मीडिया अभियान, विभाग के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर कंटेंट और विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन कार्यशालाएं शामिल हैं। इस कार्यक्रम के बाद डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, मुझे विश्वास है कि इस योजना में सभी हितधारकों की रुचि होगी। अधिकारियों के अनुसार 2 सितंबर को अधिसूचित सीसीएस (एनपीएस के तहत यूपीएस का कार्यान्वयन) नियम, 2025 में विभिन्न मुद्दों को शामिल किया गया है।
यूपीएस में शामिल होने वाले कर्मचारियों को ये नियम स्पष्ट रूप से बताते हैं कि वे कैसे नामांकन करा सकते हैं और अपना विकल्प कैसे चुन सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि जो लोग बाद में अपना मन बदलते हैं, वे हमेशा के लिए इसमें बंधे नहीं रहते वे सेवानिवृत्ति से एक साल पहले या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से तीन महीने पहले एनपीएस में वापस आ सकते हैं।
यूपीएस और एनपीएस के बीच चुनाव
- अब केंद्र सरकार के कर्मचारी एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) और यूपीएस (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) के बीच विकल्प चुन सकते हैं।
- कर्मचारियों को अपने विकल्प का प्रयोग करने के लिए दो सप्ताह की विंडो (समय सीमा) दी जाएगी।
- अगर कोई कर्मचारी यूपीएस चुन लेता है, तो वह चाहें तो जीवनभर उसी में रह सकता है, लेकिन रिटायरमेंट से एक साल पहले या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से तीन महीने पहले वह वापस एनपीएस में भी लौट सकता है। यानी कर्मचारी पूरी तरह लॉक-इन नहीं होंगे।
यूपीएस में योगदान और पारदर्शिता
- नियमों में यह साफ किया गया है कि यूपीएस में कर्मचारी और सरकार का अंशदान कैसे होगा।
- वेतन से कटौती और सरकार द्वारा जमा की जाने वाली रकम पूरी तरह पारदर्शी तरीके से दर्ज होगी।
- अगर अधिकारियों की गलती से पंजीकरण में देरी होती है या योगदान समय पर जमा नहीं होता, तो कर्मचारी को मुआवजा दिया जाएगा, ताकि उसे किसी प्रकार का नुकसान न हो।
कर्मचारियों और परिवार की सुरक्षा
अगर किसी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है या वह विकलांग हो जाता है, तो उसके परिवार को विकल्प दिया जाएगा कि वे लाभ पारंपरिक सीसीएस (पेंशन) नियमों के तहत लें या फिर यूपीएस नियमों के तहत जो भी अधिक लाभकारी हो। इससे कर्मचारियों और उनके आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।