बैलेट पेपर की वापसी, कर्नाटक में निकाय चुनाव में ईवीएम की विदाई, बीजेपी भड़की बोली- आलाकमान को खुश करने की कोशिश

बेंगलुरु. कर्नाटक सरकार ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पेपर बैलट के उपयोग का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि कई देशों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से पेपर बैलट की ओर वापसी की है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय पिछले अनुभवों के आधार पर लिया गया है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि कानून में पेपर बैलट का विकल्प मौजूद है और बीजेपी को इस पर आपत्ति क्यों है।

बीजेपी नेताओं ने इस कदम को प्रतिगामी और राष्ट्रीय डिजिटलीकरण के खिलाफ बताया है। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि कर्नाटक ने 1980 के दशक में ईवीएम की शुरुआत में अग्रणी भूमिका निभाई थी, लेकिन अब यह राज्य तकनीक को छोड़कर पुरानी समस्याओं जैसे अमान्य वोट, बूथ कैप्चरिंग और देरी की ओर बढ़ रहा है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इसे कांग्रेस के हाईकमान को खुश करने की कोशिश करार देते हुए कहा कि यह कदम लोकतंत्र पर हमला है और ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए बिना इसे लागू किया जा रहा है।

पेपर बैलट के उपयोग पर कानूनी रोक नहीं

राज्य चुनाव आयुक्त जीएस सांग्रेशी ने स्पष्ट किया कि स्थानीय निकाय चुनावों में पेपर बैलट के उपयोग पर कोई कानूनी रोक नहीं है। उन्होंने बताया कि पिछला ग्राम पंचायत चुनाव भी पेपर बैलट से हुआ था और पुरानी ईवीएम को उनके 15 साल के जीवनकाल के बाद नष्ट किया जा रहा है। हालांकि, इस बदलाव से होने वाले अतिरिक्त खर्च को सरकार को वहन करना होगा।

मत चोरी के अभियान की शुरुआत

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले साल बेंगलुरु में मत चोरी के अभियान की शुरुआत की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव में धांधली हुई थी। इस पृष्ठभूमि में कर्नाटक का यह कदम चर्चा में है।

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