भारत का बड़ा फैसला, सस्ते तेल की डील रहेगी जारी
नई दिल्ली। रूस से सस्ते तेल की डील चल रही है। यह डील पूरा होते ही भारत में रूस से तेल की सप्लाई शुरू हो जाएगी। पश्चिमी देशों और अमेरिका की ओर से दबाव जारी है। भारतीय सरकारी सूत्रों ने साफ किया है कि यह निर्णय पूरी तरह व्यावसायिक, आर्थिक और रणनीतिक कारणों से लिया गया है। इसमें तेल की कीमत, ग्रेड, भंडारण की सुविधा और लॉजिस्टिक्स जैसे कारकों को प्राथमिकता दी जाती है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 85ः आयात करता है, ऐसे में उसे सस्ती और स्थायी आपूर्ति की आवश्यकता है। रूस इस जरूरत को कुशलता से पूरा कर रहा है।
रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक है। वह प्रतिदिन लगभग 9ण्5 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन करता है और 4ण्5 मिलियन बैरल तेल तथा 2ण्3 मिलियन बैरल रिफाइंड उत्पादों का निर्यात करता हैं। इसका सीधा अर्थ है कि यदि रूसी तेल पर पूरी तरह रोक लगाई जाती है, तो वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल मच सकती है। भारत का कहना है कि अगर उसने रियायती दरों पर रूसी तेल को नहीं अपनाया होता, तो मार्च 2022 में 137 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुकी तेल कीमतें और बढ़ सकती थीं।
भारत सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा स्थिरता के लिए भी एक जिम्मेदार भागीदार की भूमिका निभा रहा है। भारत की रणनीति ने बाजार में तरलता बनाए रखी, तेल की कीमतों को स्थिर किया और महंगाई को नियंत्रित करने में मदद कीं। सूत्रों के अनुसार यदि भारत ने रूसी तेल नहीं खरीदा होता तो वैश्विक स्तर पर कीमतें बेकाबू होतीं, जिससे दुनिया भर में आर्थिक दबाव और महंगाई का संकट और गहरा होतां।
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी ऊर्जा नीति को स्वतंत्र और संप्रभु तरीके से तय करेगा। रूस से तेल खरीदना न केवल किफायती है बल्कि यह भारत को वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में मदद करता है। यह नीति अंतरराष्ट्रीय नियमों और दायरे में रहकर बनाई गई है।
