ग्रामीणों ने बताया कि आज सुबह वह शिव जी को जल चढ़ाने नदी किनारे गए थे, इस दौरान देखा कि पिंजरे में मगरमच्छ फंसा हुआ है। इसके बाद उसने गांव में सूचना दी और फिर वन विभाग को बताया। अब वन विभाग इसे किसी सुरक्षित स्थान पर छोड़ेगा। इस मामले में रेंजर विक्रम चौधरी का कहना है कि महिला पर हमला करने वाला मगरमच्छ यही है यह कहना संभव नहीं है। क्योंकि नदी में कई मगरमच्छ हैं। गौरतलब है कि मगरमच्छ द्वारा किए जा रहे हमलों से गांव के लोगों में दहशत व्याप्त रही, उन्होने चौथे मगरमच्छ के पकड़े जाने पर राहत की सांस ली है।
अब तक दो की मौत, एक घायल-
गौरतलब है कि दो-तीन सालों में ब्यारमा नदी में अचानक मगरमच्छों की संख्या में वृद्धि हुई है। अब ये मगरमच्छ लोगों पर हमला भी करने लगे हैं। 11 जुलाई को कनिया घाट पटी गांव में ब्यारमा नदी किनारे जल भरने गई 40 वर्षीय मालती बाई को मगरमच्छ अपने जबड़े में फंसाकर ले गया था। इससे उसकी मौत हो गई थी। करीब 1 घंटे के बाद रेस्क्यू टीम को शव मिला था। बीते साल इसी गांव में नदी किनारे से ही एक 10 साल के बच्चे को भी मगरमच्छ इसी तरह दबोच कर ले गया था। उसकी भी मौत हो गई थी। 15 जुलाई को तेंदूखेड़ा ब्लॉक के झलौन गांव में धान का रोपा लगा रही महिला संतोषरानी को मगरमच्छ दबोच कर पानी में ले गया था। उसके बेटे ने पानी में कूदकर अपनी मां की जान बचाई थी।