इस मामले की जांच कर रही खनिज विभाग की टीम ने अपनी रिपोर्ट में इन कंपनियों ने घोषित माइनिंग प्लान व पर्यावरणीय स्वीकृति की सीमा से लाखों टन अधिक का खनन किया है। जिन कंपनियों पर यह कार्यवाही की जा रही है, उनमें निर्मला मिनरल्स, आनंद माइनिंग व पेसिफिक एक्सपोर्ट शामिल है। ये फर्मे जबलपुर की सिहोरा तहसील के दुबियारा (32.3 हेक्टेयर), घुघरी (8.6 हेक्टेयर), प्रतापपुर (11.5 हेक्टेयर), अगरिया (20.2 हेक्टेयर) व टिकरिया (26 हेक्टेयर) में लौह अयस्क की खदानें संचालित कीं। यहां वर्षों से अवैध रूप से खनन किया जा रहा था, जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। जनवरी 2025 में व्हिसल ब्लोअर आशुतोष उर्फ मनु दीक्षित ने आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) में शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर अप्रैल में खनिज विभाग के प्रमुख सचिव के निर्देश पर बनी जांच टीम ने कई खदानों की पड़ताल की। टीम ने इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (आईबीएमद्ध) के आंकड़े व सैटेलाइट इमेजरी के जरिए माइनिंग की मात्रा की पुष्टि की। जांच में सामने आया कि निर्धारित रकबे से परे जाकर बड़े पैमाने पर खनन हुआ है। शिकायतकर्ता का कहना है कि सरकार ने फिलहाल अतिरिक्त खनन व जीएसटी चोरी की जांच पूरी की है जबकि अवैध खनन, वन क्षेत्र में खनन, फॉरेस्ट रॉयल्टी में चोरी जैसी गड़बड़ी के छह अन्य बिन्दुओं पर जांच होनी बाकी है। अगर इन मामलों में ईमानदारी से जांच हुई तो सिर्फ कटनी-जबलपुर क्षेत्र में अवैध खनन की राशि 8 से 10 हजार करोड़ तक पहुंच सकती है।
कंपनियों के आफिस से कई दस्तावेज गायब मिले- जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कंपनियों के आफिसों से कई अहम फाइलें व दस्तावेज गायब मिले। टीम ने अलग-अलग विभागों से जुटाए दस्तावेजों, सैटेलाइट डेटा व आईबीएम रिपोर्ट के जरिए गड़बड़ी को साबित किया। जांच दल ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी सिर्फ माइनिंग प्लान व पर्यावरणीय स्वीकृति की सीमाओं से बाहर हुए खनन की जांच हुई है। वन क्षेत्र व अन्य अवैध खनन की जांच आगे की जाएगी।