पीड़ितों ने की पुलिस से शिकायत, पुलिस कर रही जांच
बेरोजगारी ऐसी है कि कोई भी सरकारी, गैरसरकारी नौकरी दिलाने के एवज में ठगों के शिकार होते जा रहे हैं। इसमें सरकारी नौकरी अहम हो रही है, जिसमें ठगों को मोटी रकम मिल जाती है। ऐसा ही एक मामला बिलासपुर का सामने आया है, जहां एक युवती सहित उसके चार और दोस्तों को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर पचास लाख रूपए ऐंठ लिए गए हैं। विश्वास दिलाने के लिए ठगों ने उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिया था। जब नौकरी नहीं मिली तो पांचों बेरोजगारों ने परिचित के ठगों से बातचीत की तो उन्होंने संपर्क ही काट लिया। ठगा महसूस करते ही ये मामला पुलिस को पहुंचाया गया।
बिलासपुर । पीड़िता मोनिषा सिंह की शिकायत पर सिविल लाइन थाना पुलिस ने आरोपी रजत गुप्ता और प्रिया देशमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हेमूनगर निवासी मोनिषा सिंह ने पुलिस को बताया कि उसका संपर्क दुर्ग निवासी प्रिया देशमुख से सुरेश साहू और खिलेश्वरी साहू के जरिए हुआ था। वह उसका पुराना परिचित है। प्रिया ने बताया कि वह स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ है और सीएम हाउस में अधिकारी अंबिकापुर के रजत गुप्ता से उसकी जान-पहचान है। प्रिया ने भरोसा दिलाया कि वह और रजत मिलकर उसकी सरकारी नौकरी लगवा सकते हैं। झांसे में आकर मोनिषा ने 17ण्50 लाख रुपये दिए और अपने पांच परिचित संतोष कुमार, गौतम बाई, आकाश शर्मा, ज्योतिष कुमार और श्यामा देवी को भी नौकरी लगवाने के लिए तैयार किया। सभी ने मिलकर कुल 50 लाख रुपये नकद और बैंक ट्रांजेक्शन के जरिए आरोपियों को दिए थे। पीड़ितों ने बताया की आरोपियों ने उन्हें नियुक्ति पत्र भी थमाए, लेकिन बाद में कोई सरकारी जॉइनिंग नहीं हुई। नियुक्ति पत्र बाद में फर्जी साबित हुए। जब कई महीने बीतने के बाद भी कोई नौकरी नहीं मिली और पैसे भी नहीं लौटाए गए, तो मोनिषा और अन्य पीड़ितों ने आरोपियों से कई बार संपर्क किया। आरोपियों ने फोन नहीं उठाया और जब-तब बहाने बनाते रहे। पुलिस एफआईआर में बताया गया है कि ठगी की रकम अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच चंदेला नगर, रजिस्ट्री ऑफिस, तितली चौक, गांधी चौक और दुर्ग जैसे स्थानों पर दी गई।