जबलपुर। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग में सहायक संचालक के पदों के लिए अगस्त 2023 में विज्ञापन जारी किया था। जिसमें कला/ विज्ञान या वाणिज्य में स्नातक उपाधि के साथ सहकारिता से संबंधित 2 वर्ष का अनुभव निर्धारित किया था।
एमपीपीएसी ने परीक्षा के बाद जून 2025 में चयन सूची जारी की थी। जिसमें सामने आया कि बीई-बीटेक डिग्री के उम्मीदवारों का भी चयन किया गया है। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता रवि मौर्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और चयन सूची की संवैधानिकता को चुनौती दी। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर व हितेंद्र कुमार गोह्लानी ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश हाथकरघा एवं हस्तशिल्प संचालनालय (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 2014 के नियम 8 की अनुसूची 3 में निर्धारित योग्यता में कला] विज्ञान या वाणिज्य में स्नातक उपाधि निर्धारित की गई है। बीई-बीटेक डिग्रीधारियों के लिए असिस्टेंट डायरेक्टर इंडस्ट्रीज (तकनीकी) पद मौजूद है। जिसके लिए लोक सेवा आयोग द्वारा अलग से विज्ञापन जारी किया था। जिसमें बीई-बीटेक डिग्रीधारियों से ही आवेदन आमंत्रित किए हैं। उसमें कला/विज्ञान या वाणिज्य में स्नातक उपाधि वालों को अवसर नहीं है। जबकि आयोग से जारी 6 अभ्यर्थियों की चयन सूची में से 2 बीई-बीटेक डिग्री धारी है। प्रतीक्षा सूची में भी बीई व बीटेक डिग्रीधारी हैं। जिसके कारण याचिकाकर्ता को चयन से वंचित कर दिया है। याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई जस्टिस एमएस भट्टी की खंडपीठ ने की है। कोर्ट ने लोकसेवा आयोग, मध्य प्रदेश शासन सहित चयनित अभ्यर्थियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के अंदर जबाब तलब किया है। साथ ही पूरी भर्ती को याचिका के निर्णयाधीन कर दिया है। अगली सुनवाई 21 जुलाई 2025 को तय की गई है।