बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि,प्रतिबंधित सामान की ऑनलाइन डिलीवरी भी उतना ही अपराध है, जितना उसका निर्माण या बिक्री करना। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि, ऐसा नहीं कहा जा सकता कि डिलीवरी बॉय या वेयर हाउस प्रदाता की कोई जिम्मेदारी नहीं है।
मामला रायपुर के मंदिर हसौद में लूट और हत्या से जुड़ा है, जिसमें फ्लिपकार्ट के जरिए प्रतिबंधित सामान डिलीवर हुआ था। इस पर वेयर हाउस और डिलीवरी सुविधा देने वाले दो लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया। पार्सल डिलीवरी करने वाले दिनेश कुमार साहू और अभनपुर के इलास्ट्रिक रन कूरियर के संचालक हरिशंकर साहू ने याचिका दायर कर खुद को निर्दोष बताते हुए कार्रवाई निरस्त करने की मांग की थी।
याचिका में कहा गया कि वे सिर्फ सेवा प्रदाता हैं। वे फ्लिपकार्ट के कर्मचारी नहीं बल्कि अनुबंधित संस्था के हिस्से हैं, जो केवल पैक बाक्स की डिलीवरी करते हैं। सामान सील पैक आता है और उसमें छेड़छाड़ की अनुमति नहीं होती। साथ ही आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत फ्लिपकार्ट को मध्यस्थ की छूट भी प्राप्त है।
आईटी एक्ट की धारा 79 का सहारा लेने पर सवाल
शासन की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि प्रतिबंधित वस्तुओं की खरीद-फरोख्त न तो कोई व्यक्ति कर सकता है और न ही बिना लाइसेंस डिलीवरी की जा सकती है। चीफ जस्टिस सिन्हा, जस्टिस बीडी गुरु की डीबी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर डिलीवरी बाक्स में नॉरकोटिक्स पदार्थ, हेरोइन भेजी जा रही हो, तब भी क्या डिलीवरी करने वालों की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक मामले के तथ्यों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। आईटी एक्ट की धारा 79 की आड़ में जिम्मेदारी से बचा नहीं जा सकता। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की अपील को खारिज कर दिया।