जबलपुर। जिला प्रशासन के अधिकारियों के नाम की फर्जी सील बनाकर मूल निवासी, जाति, आय प्रमाण पत्र बनाए जा रहे है। इस बात का खुलासा आज शहपुरा-बरगी में तहसीलदार द्वारा की गई जांच में हुआ है। पुलिस ने दोनों दुकान के संचालकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर तलाश शुरु कर दी है। पुलिस ने दोनों कम्प्यूटर शॉप को सील कर दिया है।
बरगी में संजय ग्राहक केन्द्र में दबिश-
बरगी में संजय ग्राहक केन्द्र के संचालक संजय कुमार द्वारा लम्बे समय से फर्जी दस्तावेज बनाए जा रहे है, जिसमें मूल निवासी, आय, जाति सहित अन्य प्रमाण पत्र शामिल है। आज बरगी तहसीलदार द्वारा पुलिस के साथ दबिश दी गई तो सारे तथ्य सामने आ गए। मामले में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज कर ली। ये खबर मिलते ही संजय कुमार भाग निकला। जिसे पकडऩे के लिए पुलिस की टीमों द्वारा संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। पुलिस को दबिश में बड़ी संख्या में कूटरचित दस्तावेज और अधिकारियों की सीलें बरामद हुईं।पुलिस ने संजय ग्राहक केन्द्र को सील कर दिया है। इसके साथ ही दुकान संचालक आशीष चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी गई है। आशीष की दुकान से नोटरी और अधिकारियों की सीलें भी बरामद हुई हैं।
शहपुरा में प्रदीप सेन के कम्प्यूटर शॉप पर दबिश-
पुलिस अधिकारियों के अनुसार शहपुरा में प्रदीप सेन की एक कंप्यूटर शॉप है। जहां पर लम्बे समय से फर्जी प्रमाण पत्र संगठित गिरोह द्वारा बनाए जा रहे है। जिसका मास्टर माइंड दुकान संचालक प्रदीप सेन ही है। इस बात की शिकायत मिलने पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने जांच कराई तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए। यहां पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र, मूलनिवासी व आय प्रमाण पत्र बनाए जा रहे थे, जिसमें एसडीएम व तहसीलदार की सील और साइन किए जा रहे थे। पुलिस ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ दबिश तो यह खुलासा हुआ, पुलिस ने मौके से कम्प्यूटर शॉप के संचालक प्रदीप सेन को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि प्रदीप अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार करता रहा। पुलिस ने दुकान से प्रशासनिक अधिकारियों की सीलें और तैयार फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं। पुलिस का कहना है कि विकासखंड शिक्षा अधिकारी बाबूलाल कुर्वेती ने एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। उन्हें 8 जुलाई को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से एक पत्र प्राप्त हुआ था। जिसमें सेन कंप्यूटर सेंटर के संचालक प्रदीप सेन पर जाली हस्ताक्षर कर फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने की शिकायत की गई थी। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि प्रदीप सेन ने निशा यादव नामक एक व्यक्ति को एक संदिग्ध स्थानीय निवास प्रमाणपत्र जारी किया था। यह प्रमाणपत्र लोक सेवा केंद्र द्वारा जारी नहीं किया गया था, जिससे इसकी सत्यता पर संदेह उत्पन्न हुआ।