
नई दिल्ली. आठवें वेतन आयोग के गठन के साथ ही कर्मचारी वर्ग में बेसिक वेतन तीन गुना तक बढऩे के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार महंगाई भत्ता कम होने के कारण फिटमेंट फैक्टर कमजोर हो सकता है। इसका नए वेतनमान में बढ़ोतरी पर नकारात्मक असर पड़ेगा। सातवें वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशों में फिटमेंट फैक्टर 2.57 गुना रखा था। यानी महंगाई भत्ता (डीए) को समायोजित किए बिना बेसिक सेलरी में 2.57 गुना बढ़ोतरी की थी।
जिस समय सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें की गई उस समय छठे वेतन आयोग द्वारा तय किए गए वेतनमान के ऊपर डीए 114 फीसदी था। पिछले 10 साल में यह स्थिति नहीं है। सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 फीसदी था, तब न्यूनतम बेसिक सैलरी 6000 रुपये से बढ़कर 18000 रुपये हो गई थी, लेकिन इस बार बेसिक पे में तीन गुना बढ़ोतरी की उम्मीद कम है।
3-4 प्रतिशत की हो सकती है डीए की नई किस्त
जानकारों के अनुसार अभी केंद्रीय कर्मचारियों (उसी के अनुरूप अन्य राज्यों में भी) का डीए महज 58 फीसदी है। जनवरी में आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से पहले डीए की एक और किस्त तीन या चार फीसदी की हो सकती है। इसे मिलाकर कुल डीए 61-62 फीसदी तक ही पहुंचेगा। फिटमेंट फैक्टर महंगाई और लिविंग कॉस्ट के आधार पर तय किया जाता है। ऐसे में मौजूदा डीए को मूल वेतन में जोडऩे के बाद फिटमेंट फैक्टर पिछले वेतन आयोग की सिफारिश (2.57) तक पहुंचना मुश्किल है।
पेंशनर्स को कम्युटेशन में राहत की उम्मीद
आठवें वेतन आयोग से पेंशनर्स को कम्यूटेड पेंशन कटौती की अवधि कम किए जाने की उम्मीद है। तय फार्मूले के तहत कम्यूटेड (एडवांस) पेंशन की रिटायरमेंट के बाद 15 साल तक कटौती होती है और उसके बाद ही पूरी पेंशन मिलती है। पेंशनरों की लंबे समय से मांग रही है कि यह अवधि घटाकर 12 साल की जाए। नया वेतन आयोग यह मांग पूरी कर सकता है। माना जा रहा है कि न्यूनतम वेतन की तरह मौजूदा न्यूनतम पेंशन भी 9000 से बढ़कर करीब 25000 हो सकती है। वहीं अतिवरिष्ठ पेंशनर्स (80 साल से अधिक आयु) को भी अतिरिक्त पेंशन में राहत मिल सकती है।
भत्तों में हो सकता है बदलाव
आठवें वेतन आयोग में भी पिछले आयोग की तरह कर्मचारियों के अप्रासंगिक भत्तों पर कैंची चलाई जा सकती है। सातवें वेतन आयोग ने उस समय मिल रहे 196 तरह के भत्तों में से 52 को समाप्त कर दिया था और 36 को अन्य में समाहित कर दिया था। जानकारों के अनुसार, इस बार भी टाइपिंग भत्ता जैसे अप्रासंगिक भत्तों को खत्म किया जा सकता है। वहीं बच्चों का शिक्षण भत्ता बढ़ाने के साथ इंटरनेट अलाउंस जैसे नए भत्ते शामिल किए जा सकते हैं।